आदिवासी संस्कृति, शिल्प, व्यंजन, वाणिज्य और पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाने वाला आदि महोत्सव, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड की एक वार्षिक पहल है. इस साल इसका आयोजन 16 से 27 फरवरी तक दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया जा रहा है ।
News Jungal desk : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बोला कि आदिवासी समाज का हित उनके लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है । वे दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव ‘आदि महोत्सव’ का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे । और उन्होंने कहा, ‘यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है । जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है । उसको मुख्यधारा में ला रही है ।
पीएम मोदी ने सभी को ‘आदि महोत्सव’ की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत की अनेकता और भव्यता आज एक साथ खड़ी हो गई हैं । और यह भारत के उस अनंत आकाश की तरह है जिसमें उसकी विविधताएं इंद्रधनुष की तरह उभर कर सामने आ जाती हैं । यह अनंत विवधिताएं हमें एक भारत – श्रेष्ठ भारत के सूत्र में पिरोती हैं ।
‘मैंने आदिवासी समाज से सीखा भी है और उनको जिया भी है’
पीएम मोदी ने आगे बोला , ‘मैंने देश के कोने कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ अनेक सप्ताह बिताए हैं । और मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा भी है । उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है । आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है । और आपके बीच आकर मुझमें अपनों से जुड़ने का भाव आता है ।
कब से कब तक चलेगा आदि महोत्सव
आदिवासी संस्कृति, शिल्प, व्यंजन, वाणिज्य और पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाने वाला आदि महोत्सव, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) की एक वार्षिक पहल है । और इस साल इसका आयोजन 16 से 27 फरवरी तक दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया जा रहा है । और कार्यक्रम स्थल पर 200 से अधिक स्टालों में देश भर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा ।
आदि महोत्सव में करीब 1000 आदिवासी कारीगर ले रहे हैं हिस्सा
महोत्सव में लगभग 1000 आदिवासी कारीगर भाग ले रहे हैं । और पीएमओ ने बोला कि चूंकि 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज के वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और इसलिए हस्तशिल्प, हथकरघा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण आदि जैसे सामान्य आकर्षणों के साथ, महोत्सव में जनजातीय समुदाय द्वारा उगाए गए ‘श्री अन्न’ को प्रदर्शित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ।
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