बालासाहेब की तस्वीर के सामने ठाकरे ने मिलाया CPI से हाथ, शिंदे को घेरने का मौका

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1970 में सीपीआई विधायक कृष्णा देसाई की हत्या ने न केवल शिवसेना के विधानसभा में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि इसके परिणामस्वरूप मध्य मुंबई में भगवा पार्टी की प्रभुत्व भी बढ़ा। 

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर:- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के सांसद-विधायक लगातार यह आरोप लगाते हैं कि उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़ दिया है। इस बीच महाराष्ट्र की राजनीति से यह खबर आ रही है कि उद्धव ठाकरे ने भारतीय कॉम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) से हाथ मिलाया है, जो कि लगातार हिंदुत्व की विचारधारा का विरोध करती रही है। इतना ही नहीं, दोनों दल कभी मुंबई में एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंदी हुआ करते थे। 1970 में सीपीआई विधायक कृष्णा देसाई की हत्या ने न केवल शिवसेना के विधानसभा में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि इसके परिणामस्वरूप मध्य मुंबई में भगवा पार्टी की प्रभुत्व भी बढ़ा। 

शिंदे लगाते हैं हिंदुत्व छोड़ने का आरोप
हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने का आरोप लगाया था। उद्धव के इस फैसले के बाद शिंदे के एकबार फिर हमलावर होने का मौका मिल सकता है। वहीं, महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने भी महाराष्ट्र के पूर्व सीएम के शिवसेना गुट के साथ एकजुटता व्यक्त की है। इससे पहले, एमवीए के सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए ठाकरे के उम्मीदवार का समर्थन करने के अपने फैसले की घोषणा की।

शिवसेना के बंटवारे के बीच अहम उपचुनाव
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच शिवसेना पर नियंत्रण को लेकर जारी जंग के बीच चुनाव आयोग ने अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा की है। यह सीट मई में शिवसेना के रमेश लटके के निधन के बाद खाली हुई थी। यहां 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। गिनती 6 नवंबर को होनी है। महाराष्ट्री की सत्ता से बेदखल होने के बाद उद्धव ठाकरे के लिए यह पहली परीक्षा होगी। शिंदे कैंप के साथ इस सीट पर उनकी सीधी लड़ाई होगी।

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