सिंघु बॉर्डर से हटने लगे टैंट, हर महीने 15 तारीख को होगी SKM की बैठक
केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को भेजी गई चिट्ठी में केस की वापसी को लेकर कहा गया है कि यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सरकार केस वापसी को लेकर सहमत है.
न्यूज़ जंगल डेस्क, कानपुर : एक साल से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने आज वापसी का एलान किया. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद आंदोलन वापसी की घोषणा की गई है. सरकार की तरफ से कृषि सचिव के हस्ताक्षर से चिठ्ठी किसान मोर्चा को भेजी गई है. अब किसान मोर्चा 11 दिसम्बर को घर वापसी करेगा. सभी किसान नेता 13 दिसम्बर को स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने अमृतसर जाएंगे. बैठक के बाद किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हमअहंकारी सरकार को झुकाकर कर जा रहे हैं.
किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ स्थगित हुआ है. मोर्चे खत्म हो रहे हैं. 11 दिसम्बर से घर वापसी होगी. संयुक्त किसान मोर्चा बरकरार रहेगा. हर महीने 15 तारीख को बैठक होगी. किसानों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रहेगा. चुनाव में उतरने सवाल पर कहा कि मोर्चा चुनाव नहीं लड़ेगा.
किसान मोर्चा ने कहा कि हम हेलिकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं. हन्नान मोल्लाह ने कहा कि आजादी के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन रहा. सबसे शांतिपूर्वक आंदोलन रहा है.
सरकार की चिट्ठी में क्या है?
सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बनी समिति में सरकार एसकेएम के सदस्यों को शामिल करेगी. साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत प्रभाव से वापस लेने पर सहमत है. दिल्ली में किसानों के खिलाफ दर्ज मामले भी वापस लिए जाएंगे
केंद्र सरकार की तरफ से भेजे गए नए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि राज्यों से एमएसपी पर फसलों की खरीद में कमी नहीं की जाएगी. यह भी स्पष्ट किया गया है कि बिजली संशोधन विधेयक तब तक संसद में पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि किसानों को प्रभावित करने वाले प्रावधान पर सरकार एसकेएम के साथ चर्चा नहीं करती है.
तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग को लेकर किसान, खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान टीकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हैं.
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लोकसभा और राज्यसभा में 29 नवंबर को बिल पारित कर तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए. यह प्रदर्शनकारी किसानों की मुख्य मांग थी. इसके बाद भी गतिरोध बना रहा. प्रदर्शनकारी किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी और केस की वापसी सहित अन्य मांगों को पूरा करने की बात कही. इसके बाद सरकार ने किसान संगठनों के सामने प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव पर सहमति बन गई.
किसान आंदोलन खत्म नहीं होता देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी. साथ ही कहा था कि एमएसपी को लेकर कमेटी गठित की जाएगी.