टारगेट किलिंग, क्यों गैर कश्मीरियों को घाटी में बनाया जा रहा है निशाना?

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न्यूज जगंल डेस्क, कानपुर : जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के नए चैप्टर का नाम है- टारगेट किलिंग. यहां घाटी में आतंकी आम लोगों को लगातार अपना निशाना बना रहे हैं. टारगेट किलिंग की वारदातों को अंजाम देने के लिए आतंकी नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. वारदात को अंजाम देने से पहले बाकायदा टारगेट की पूरी रेकी की जाती है, फिर मौका देखकर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है.

घाटी में बढ़ती टारगेट किलिंग की वारदातों को देखते हुए प्रशासन ने सभी गैर स्थानीय लोगों को पुलिस और सेना के कैंप में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है. रविवार शाम को आईजीपी कश्मीर की तरफ से एक इमरजेंसी एडवायजरी भी जारी की गई. जिसमें कहा गया कि सभी गैर स्थानीय लोगों को पुलिस और सेना कैंप में शिफ्ट किया जाएगा. आतंकियों द्वारा लगातार गैर स्थानीय लोगों को निशाना बनाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है.

क्या है टारगेट किलिंग
टारगेट किलिंग के तहत पहले कई दिनों तक सॉफ्ट टारगेट की गतिविधियों की रेकी कर उसके बारे में तमाम जानकारी जुटाई जाती है. उन्हें यह अच्छी तरह पता होता है कि कब और किस समय हमला करना मुफीद होगा. जम्मू-कश्मीर में भी इसी पैटर्न के तहत गैर कश्मीरियों की हत्याएं की जा रही हैं. यहां अलग-अलग आतंकी हमलों में इस महीने 12 नागरिकों की जान जा चुकी है. 

कश्मीर में शनिवार को दो निर्दोष नागरिकों की जान लेने के बाद रविवार को फिर दो गैर कश्मीरी नागरिकों को आतंकवादियों ने गोली मार दी. जिन्हें गोली मारी गई, वो सभी मजदूर थे. आतंकियों ने घर में घुसकर इस घटना को अंजाम दिया.

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कश्मीर में क्यों गैर कश्मीरियों को बनाया जा रहा है निशाना
घाटी में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से आतंकी अब इस कदर बौखला गए हैं कि वो निहत्थे मजदूरों को निशाना बना रहे हैं. सेना का सामना करने में नाकाम आतंकियों ने फिर से टारगेट किलिंग शुरु कर दी है ताकि घाटी में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया जा सके. टारगेट किलिंग आतंकियों के लिए बहुत ही आसान होता है. इसके लिए बड़े जमात की न तो जरूरत है और न ही बड़े हथियारों की. कम लोग छोटे हथियारों की मदद से निहत्थे लोगों को निशाना बना सकते हैं.

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