सेंसेक्स 1000 अंक टूटा, 3.20 लाख करोड़ डूबे, बाजार के बिगड़े माहौल की वजह क्या है?

शुक्रवार को सेंसेक्स 1.84 फीसदी या 1016.84 अंक नुकसान के साथ 54,303 अंक के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 1.70% या 277 अंक की गिरावट के साथ बमुश्किल 16,200 के स्तर को बनाए रखने में कामयाब रहा।

न्यूज जंगल कानपुर डेस्क : भारतीय शेयर बाजार के लिए 2022 का साल भारी साबित होता दिख रहा है। जनवरी में बिकवाली का जो माहौल था, वही स्थिति जून में भी है। बढ़ती महंगाई और कोरोना की वापसी की आहट से सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को बाजार रेंगता हुआ नजर आया और इस वजह से निवेशकों को 3.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लग गई। 

बाजार की क्या रही स्थिति: शुक्रवार को कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1.84 फीसदी या 1016.84 अंक नुकसान के साथ 54,303 अंक के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 1.70% या 277 अंक की गिरावट के साथ बमुश्किल 16,200 के स्तर को बनाए रखने में कामयाब रहा। बहरहाल, आइए जानते हैं कि बाजार में इतनी बड़ी गिरावट के क्या प्रमुख कारण हैं।

कोरोना की वापसी: देश में कोरोना के बढ़ते मामलों ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। खासतौर पर महाराष्ट्र में हर दिन कोरोना के मरीजों में इजाफा हो रहा है। देश में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन 7 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए।

चीन में तालाबंदी: कोरोना की वजह से चीन के व्यापार केंद्र शंघाई में फिर से तालाबंदी की आहट देखने को मिल रही है। अब भी शंघाई में कड़े प्रतिबंध बरकरार हैं। प्रतिबंधों की वजह से भारतीय बाजार में आपूर्ति की दिक्कतें आ सकती हैं।

ईसीबी के संकेत: यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के मकसद से अगले महीने प्रमुख ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करेगा। यह वृद्धि 11 साल में पहली बार होगी। इसके अलावा ईसीबी मुद्रास्फीति की स्थिति के आधार पर सितंबर में भी ब्याज दर बढ़ा सकता है। इस घोषणा के अमल में आने के साथ निचली ब्याज दर का दौर समाप्त हो जाएगा।

कच्चे तेल में उछाल और रुपया कमजोर: तेल की कीमतें पिछले कुछ समय से 120 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बनी हुई हैं। इसके साथ ही कमजोर रुपया भारत के पहले से बढ़ रहे चालू खाता घाटे के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। बता दें कि रुपया ने 77.82 डॉलर के नए निचले स्तर को छू लिया है। रुपये में गिरावट उन विदेशी निवेशकों के भरोसे को और कम कर सकती है, जो पहले से ही भारतीय इक्विटी से निकासी की होड़ में हैं।

वैश्विक बाजारों में गिरावट: अमेरिका समेत दुनियाभर के शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है। दरअसल, अनुमान लगाया जा रहा है महंगाई को देखते हुए अमेरिकी फेडरल रिजर्व (यूएस फेड) एक बार फिर दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। 

आरबीआई के फैसले: केंद्रीय रिजर्व बैंक ने एक माह में दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी किया है। वहीं, बेंचमार्क यूएस बॉन्ड यील्ड 3 फीसदी से ज्यादा पर बना हुआ है, जो डॉलर को बूस्ट देगा लेकिन इसका दबाव भारतीय करेंसी रुपया पर पड़ने की आशंका है।

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