चावल बिगाड़ सकता है बजट , प्रोडक्शन में गिरावट का पड़ेगा असर ।
Rice Production: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि धान की बुवाई क्षेत्र में गिरावट के कारण इस साल के खरीफ सीजन के दौरान भारत के चावल उत्पादन में 1.12 करोड़ टन तक की गिरावट आ सकती है.
न्यूज जंगल डेस्क कानपुर :—इस साल चावल की महंगाई बढ़ सकती है. खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन में 1 से 1.12 करोड़ टन की गिरावट आ सकती है, दरअसल बता दें कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि धान की बुवाई क्षेत्र में गिरावट के कारण इस साल के खरीफ सीजन के दौरान भारत के चावल उत्पादन में 1.12 करोड़ टन तक की गिरावट आ सकती है. इस संबंध में खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने जानकारी दी है…
(आंकड़े में हो सकता है बदलाव)
बता दें कि खाद्य सचिव ने कहा कि हालांकि, यह एक शुरुआती अनुमान है जो रकबे में गिरावट और औसत उपज पर आधारित है. उत्पादन में गिरावट कम भी हो सकती है. क्योंकि जिन राज्यों में अच्छी बारिश हुई है, दरअसल वहां उपज में सुधार हो सकता है,फसल (वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के दौरान चावल का कुल उत्पादन 13.29 करोड़ टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है. यह पिछले पांच साल के 11.64 करोड़ टन के औसत उत्पादन से 1.38 करोड़ टन अधिक है बता दें कि उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या सरकार मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार करेगी या नहीं..
कम बारिश से रकबा घटा खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बताया कि कई राज्यों में कम बारिश के कारण इस खरीफ सीजन में अब तक धान का रकबा 38 लाख हेक्टेयर कम है.बता दें कि खरीफ मौसम भारत के कुल चावल उत्पादन में लगभग 80 फीसदी का योगदान देता है. उन्होंने कहा कि चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन का नुकसान होने की आशंका है. वहीं सबसे खराब स्थिति में यह इस साल 1.2 करोड़ टन कम हो सकता है!
इस चावल के निर्यात पर रोक
गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी सीमा शुल्क लगाने के बाद सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टुकड़ा चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है. आपको बता दें कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 8 सितंबर, 2022 को जारी नोटिफिकेशन मं कहा कि टुकड़ा चावल के निर्यात की श्रेणी को ‘मुक्त’ से ‘प्रतिबंधित’ में संशोधित किया गया है,जबकि यह 9 सितंबर, 2022 से प्रभावी है. असल में चालू खरीफ सत्र में धान फसल का रकबा काफी घट गया है. ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है
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