विजयादशमी पर इन जगहों पर होती है रावण की पूजा,देखें खास रिपोर्ट

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Ravan Puja In India Lankapati Ravana Is Worshiped At These Places In India  | Ravan Puja In India : भारत में इन जगहों पर होती है लंकापति रावण की पूजा

न्यूज जंगल डेस्क,कानपुरः अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर भगवान राम ने दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अधिकांश जगह पर रावण का विशाल पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कुछ जनपद ऐसे भी हैं जहां पर रावण का मंदिर है और विजयादशमी के दिन रावण की पूजा की जाती है।

दशहरा या विजयादशमी पर्व को लेकर उत्तर प्रदेश के बागपत के साथ भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा, इटावा, लखनऊ तथा कानपुर जनपद में कुछ स्थान पर रावण के जुड़े रोचक किस्से भी हैं। यहां पर रावण की पूजा भी की जाती है। गौतमबुद्धनगर जिले के एक गांव के लोग रावण को अपना बेटा मानते हैं। इसके साथ ही लखनऊ तथा कानपुर में रावण को दु:ख हरने वाला माना जाता है। हाथरस में तो रावण के नाम पर 45 वर्ष पहले डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है। कानपुर में एक स्थान पर रावण का मंदिर है, जो कि सिर्फ विजया दशमी के दिन ही खुलता है। यहां पर आकर लोग रावण की पूजा करते हैं। प्रदेश के बागपत में एक गांव का नाम ही रावण है। यहां पर रावण को जलाया नहीं जाता। गांव रावण को पूजता है। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा के एक गांव में बीते 25 वर्ष से भक्तगण विजयादशमी पर रावत की पूजा करते हैं। करीब 25 साल से लंकेश भक्त मंडल हर साल विजयादशमी पर रावण की पूजा करता है।

कानपुर शहर का एक ऐसा भी स्थान है जहां रावण के पुतले का दहन नहीं बल्कि पूजन होता है। यह स्थान है कैलाश मंदिर शिवाला। यहां शिव और शक्ति के मंदिर के बीच में ही दशानन का भी मंदिर है। यहां माता छिन्नमस्ता मंदिर के गेट पर ही रावण का मंदिर है। विजय दशमी के दिन सुबह श्रृंगार और पूजन के साथ ही दूध, दही, घृत, शहद, चंदन, गंगा जल आदि से दशानन का अभिषेक किया जाता है। स्व. गुरु प्रसाद शुक्ला ने डेढ़ सौ वर्ष पहले मंदिरों की स्थापना कराई थी। तब उन्होंने मां छिन्नमस्ता का मंदिर और कैलाश मंदिर की स्थापना कराई थी।

शक्ति के भक्त के रूप में यहां रावण की प्रतिमा स्थापित की गई। लंकेश के दर्शन को यहां दूर- दूर से श्रद्धालु आते हैं। भक्त भगवान शिव का अभिषेक करते हैं और फिर दशानन का अभिषेक व महाआरती की जाती है। इस मंदिर में सुहागिनें तरोई का पुष्प अर्पित कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। मां भक्त मंडल के संयोजक केके तिवारी का कहना है कि मंदिर में दशानन की 10 सिर वाली प्रतिमा है। दशानन का फूलों से श्रृंगार किया जाता है। सरसों के तेल का दीपक जलाया कर आरोग्यता, बल , बुद्धि का वरदान मांगा जाता है। यहां कानपुर ही नहीं बल्कि उन्नाव, कानपुर देहात के साथ ही फतेहपुर जिलों से लोग दशानन का पूजन करने आते हैं।

विजयादशी पर देश में जहां बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होगा, वहीं बागपत के बड़ागांव उर्फ रावण में दशहरा पर रावण की पूजा होगी। यहां के लोग तो रावण को अपना पूर्वज मानते हैं। गांव में आज तक न तो रामलीला का मंचन हुआ और न दशहरा पर पुतला दहन। दशहरे पर यहां के ग्रामीण घरों में आटे का रावण बनाकर उसकी पूजा करते हैं। खेकड़ा तहसील का यह गांव राजस्व अभिलेखों में भी बड़ागांव उर्फ रावण के नाम से दर्ज है। करीब 12 हजार आबादी वाले गांव में सिद्धपीठ मां मंशा देवी का मंदिर हैं। इसी मंदिर के कारण गांव का नाम रावण पड़ा था।

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