पंजाब: CM केजरीवाल ने बताया-कैसे दूर होगी पराली की समस्या
न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : सितम्बर-अक्टूबर से लेकर फरवरी तक दिल्ली में वायु प्रदूषण का खासा असर रहता है. हालात ऐसे हो जाते हैं कि दिल्ली सरकार को कई बड़े और कड़े फैसले लेने पड़ते हैं. उस वक्त तो मानों दिल्ली गैस चैंबर बन जाती है. और इस सब का ठीकरा फूटता है पंजाब और हरियाणा पर. आरोप लगते हैं कि यहां खेतों में जलने वाली पराली दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है. लेकिन अब पंजाब में आम आदमी पार्टी की ही सरकार है तो पराली से निजात मिलने की उम्मीद है. वहीं पंजाब में पराली को जलाने से रोकने के लिए सीएम अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. प्रस्ताव कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) और केन्द्र सरकार को भी भेज दिया है.
25 सौ रुपये से पंजाब में जलने से रुकेगी पराली
बीती 28 जुलाई को सीएम अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में बस डिपो में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया था. इस मौके पर उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, “पंजाब में पराली को जलाने से रोकने के लिए हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है. प्रस्ताव के मुताबिक दिल्ली और आप की पंजाब सरकार वहां के किसानों को 500-500 रुपये देगी. वहीं केन्द्र सरकार 1500 रुपये दे. इस तरह से किसानों को 25 सौ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पराली का मुआवजा दिया जाए. इस पैसे से किसान पराली को जलाने के बजाए दूसरे उपाय अपनाकर उसे खत्म करने का काम करेंगे. इस प्रस्ताव को हमने सीक्यूएम और केन्द्र सरकार को भी भेज दिया है. केन्द्र की मंजूरी मिलते ही इस प्रस्ताव को पंजाब कैबिनेट के सामने भी रखा जाएगा.”
जानें पंजाब में कितनी जलती है पराली
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में हर साल करीब 20 मिलियन टन धान होता है. अब इस धान से निकली पराली को खत्म करने के लिए किसान इसे जला देते हैं. नवंबर 2021 में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामे में बताया है कि जागरुकता अभियान के चलते पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है. साल 2021 में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 2446 घटनाएं दर्ज हुईं थी. जबकि साल 2020 में इन्हीं महीनों के बीच पराली जलाने की 7429 घटनाएं दर्ज की गईं थीं. हरियाणा में भी 2021 की इस अवधि के दौरान पराली जलाने की 1027 घटनाएं दर्ज की गई हैं. जबकि 2020 में 1091 घटनाएं दर्ज की गई थीं
पराली गलाने के लिए पूसा के वैज्ञानिकों ने एक कैप्सूल तैयार किया है. इस कैप्सूल की मदद से एक घोल तैयार किया जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस घोल को खुद से भी खेतों में तैयार किया जा सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार घोल बनाने के लिए सबसे पहले एक भगोने में 25 लीटर पानी लेकर उसमें 750 ग्राम गुड़ डालना है. जब पानी में गुड़ पूरा घुल जाए और उबाल आने लगे. उसके बाद उसे चूल्हे से उतारकर ठंडा करना है. जब इसका तापमान सामान्य हो जाये तो उसमें 250 ग्राम बेसन और पूसा द्वारा बनाये गए पूसा डिकम्पोज़र के 20 कैप्सूल मिलाने है.
फिर 3 दिन तक इसे एक कपड़े से ढक कर रखना है. चौथे दिन इसमें फंगस आ जायेगा. जिसके बाद 25 लीटर पानी मे 750 ग्राम गुड़ का घोल बनाकर चार दिन पहले बनाए घोयल में इसे मिलाया जाएगा और इस तरह इस घोल की मात्रा 50 लीटर हो जाएगी. इस घोल को 5 एकड़ तक खेती की जमीन पर इसका छिड़काव किया जा सकता है. दिल्ली में इस घोल का इस्तेमाल किया जा रहा है और यह कामयाब भी है. प्रति एक एकड़ जमीन के लिए इस घोल को तैयार करने से लेकर छिड़काव करने तक एक हजार रुपये का खर्च आता
यह भी पढ़े : आधार में कितनी बार बदल सकते हैं नाम,जन्मतिथि बदलने की लिमिट है