महाना को करनी पड़ रही इस बार ज्यादा मेहनत

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News Jungal Desk Kanpur- कानपुर की महाराजपुर विधानसभा चुनाव में रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। पूर्व के चुनावों में सतीश महाना का कहां एकतरफा चलने वाला चुनाव इस बार टक्कर में तब्दील होता दिख रहा है। पांच बार छावनी और दो बार महाराजपुर विधानसभा से विधायक रहे महाना को इस बार ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। सपा से फतेह बहादुर गिल और कांग्रेस से कनिष्क पांडेय के चलते त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। पहली बार महाना को अपने क्षेत्र में ग्रामीणों का विरोध भी देखना पड़ रहा है। वर्ना इससे पहले एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि के तौर पर महाना स्थापित नेता रहे है।

अन्ना पशु बड़ा चुनावी मुद्दा…
यूपी के इस बार के चुनाव में अन्ना पशु एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चूका है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी हर जानसभा में इस मुद्दे को उठा रहे है साथ ही अन्ना पशुओं की वजह से हुई मौत पर मुआवजा देने का वादा भी कर रहे है। यह मुद्दा भाजपा को परेशान करता भी दिख रहा है। मंगलवार को महाराजपुर विधानसभा की रैली में एक बार फिर अखिलेश ने इसी मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा जितनी भी मौतें अन्ना पशुओं की वजह से हुई है उसके ऊपर बाबा की सरकार कुछ नहीं करेगी क्योंकि वो उनके दिल के करीब है। इसके लिए हम करेंगे।

गांव में संतुष्ट नहीं है ग्रामीण…
औद्योगिक विकास मंत्री और महाराजपुर से विधायक सतीश महाना को कई ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध का सामना करना पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अन्ना जानवर और ग्रामीण इलाकों में विकास में हुए विकास को लेकर ग्रामीणों ने बड़ा मुद्दा है , लेकिन इस मुद्दे को सपा और कांग्रेस ने उठा कर ग्रामीणों का दिल जीत लिया है।ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के गुस्से का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में कैबिनेट मंत्री सतीश महाना की सभा में सांड और अवारा गायों का एक झुंड अचानक से घुस आया जिसके कारण वहां अफरा-तफरी मच गई गई थी। इस बीच इस बात पर सतीश महाना ने कहा कि अगर इसमें साजिश है तो वो साजिश करने वालों को छोड़ेंगे नहीं। ग्रामीणों ने यह भी देख कर और सुन कर उनके सामने विरोध व्यक्त किया। लेकिन महाना ने कुछ भी नहीं बोलै। गांधीग्राम के रहने वाले दीपक चौहान ने कहा, इस क्षेत्र से सतीश महाना को विधायक बनाया था दो बार दोनों कार्यकाल में उन्होंने हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में कोई विकास नहीं करवाया है। टौस, तिलसारी, हाथीपुर, आइमा, सौदी, चरकाला, जोधापुरवा, मथुरापुर, दीपपुर जैसे गावों में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया की हमारे गांव में सड़क तक नहीं है, एक अस्पताल खोला पिछले 10 सालों में।

महाराजपुर में नही लगी एक भी नई औद्योगिक इकाई…
आपको बता दें महाराजपुर विधानसभा में एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र भी है। इस क्षेत्र रुमा में पिछले 15 सालों में एक भी नई फैक्ट्री या कोई नई औद्योगिक इकाई नहीं शुरू हो पाई है। साथ ही यहां जो पहले से फैक्ट्रियां चल रही थी उनमें से कई बंद होने की कगार पर है। कांग्रेस के कनिष्क पांडेय और सपा के फतेह बहादुर गिल ने रूमा औद्योगिक क्षेत्र को डेवेलोप करने और ग्रामीणों के लिए नई औद्योगिक इकाई लगाने का वादा किया है। इससे इस विधानसभा का मुकाबला टक्कर का होने वाला है।

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भाजपा, सपा और कांग्रेस में है टक्कर की लड़ाई…
इस सीट पर सपा से फतेह बहादुर गिल और कांग्रेस से कनिष्क पांडेय ने कई ऐसे मुद्दों पर ग्रामीणों को लुभाने की कोशिश की है जो महाना नहीं कर पाए। कई गांव ऐसे है जहां भाजपा को काफी विरोध झेलना पड़ रहा है। इसका लाभ सपा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को मिलता दिख रहा है और इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है।

ओबीसी और जनरल वोटर सबसे अधिक…
महाराजपुर विधानसभा में ओबीसी और जनरल वोटरों की संख्या सबसे अधिक हैं। इस सीट पर कब्जा भले ही हो लेकिन इस बार महाना को मिल रहे विरोध के कारण इस बार इसका लाभ सपा के फतेह बहादुर और कांग्रेस के कनिष्क पांडेय को मिलता दिख रहा है। सवर्णों के वोट बैंक भी इस बार बंटता दिख रहा है।

2017 में बसपा थी दूसरे नंबर पर…
2017 में इस विधानसभा सीट में कुल 55.93 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से सतीश महाना ने बहुजन समाज पार्टी के मनोज कुमार शुक्ला को 91826 वोटों के मार्जिन से हराया था। लेकिन इस बार बसपा कहीं दिख ही नहीं रही है, जिसका फायदा सीधे सीधे कांग्रेस और सपा को हो रहा है।

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