JNU की वीसी शांतिश्री बोलीं- कोई भगवान ब्राह्मण नहीं, SC या ST हैं शिव
जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति ने कहा कि हिंदू धर्म जीवन का एक तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं। मानवशास्त्रीय रूप से देवता ऊंची जाति के नहीं होते। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हो सकते हैं।
न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : अभी तक हमने इंसानों की जाति को लेकर बहस चलती थी अब देवी देवताओं की जाति को लेकर भी बयान -बाजी की जा रही है, कौन भगवान किस जाति से है । इसी कड़ी में आज जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति ने देवी देवताओं की जाति को लेकर अपना मत जाहिर किया है। उनका मानना है कि सभी देवी-देवता ऊंची जाति के नहीं हैं। यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा कि भगवान शिव भी एससी एसटी के हो सकते हैं।
दरअसल, जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी ने अंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला में अंबेडकर के विचार जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ में व्याख्यान देते हुए अपने विचार रखे हैं। शांतिश्री ने कहा है कि मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार देवी देवता उच्च जाति के नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्रों का दर्जा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है यह जीवन का एक तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं। मानवशास्त्रीय रूप से देवता ऊंची जाति के नहीं होते। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। औरतों को जाति अपने पिता या पति से मिलती है।
शांतिश्री धुलिपुड़ी ने कहा कि देवताओं की उत्पत्ति को मानवशास्त्रीय रूप से जानना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबासाहेब के विचारों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। कुलपति ने आगे यह भी कहा कि लक्ष्मी, शक्ति यहां तक कि भगवान जगन्नाथ भी मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार उच्च जाति से नहीं आते हैं। भगवान जगन्नाथ वास्तव में आदिवासी मूल से हैं।
उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था। गौतम बुद्ध हमारे समाज में अंतर्निहित, संरचित भेदभाव पर हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक थे। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है यह जीवन का एक तरीका है।
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