जयपुर -लोग कहते है कि अफसरों को सुविधा शुल्क नही तो काम नही
जयपुर में कलराज मिश्र ने आईएएस ,आईपीएस व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि फाइलों की पेडेंसी सीधे तौर पर भष्टाचार को बढावा देने वाली व्यवस्था है।
न्यूज जंगल कानपुर डेस्क : जयपुर में राज्यपाल कलराज मिश्र ने आईएएस ,आईपीएस व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि फाइलों की पेडेंसी सीधे तौर पर भष्टाचार को बढावा देने वाली व्यवस्था है। फाइल रुकती है तो तोगों का विचार अलग हो जाता है कि कोई शुल्क जब तक ,तब तक कोई काम नही हो सकता है। और सुविधा शुल्क का मतलब तो सब लोंग जानते है । अगर आपके विचार एंव व्यवहार ऐसा कुछ है तो आप सुशासन नही देख सकते है । मिश्र गुरुवार को लोकसेवा दिवस पर एचसी एम में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में बोला था । मिश्र ने कहा कि अगर फाइल जल्दी निस्तारित हो जाती है तो कहा जाता है कि अधिकारी बड़ा कार्यकुशल है ।पैनी दृष्टि रखते हुए जन कल्याण की भावना से प्रेरित होकर काम का निस्तारण किया जाता है लेकिन य़े बडे दुख के साथ कहना पड रहा है कि आज के समय में ऐसा कुछ नही है । य़ह प्रशासन की सबसे विचित्र स्थिति है ।उन्होने कहा की आज के समय में दफ्तरों में फाइले पड़ी है तो पडी । य़ह किसी एक कार्यालय व लोकसेवा की नही सभी जगहों का यही हाल है ।देरी से फाइलों का निस्तारण हो रहा है ,अगर फाइल आगे नही बढेगी तो जनकल्याण के काम प्रभावित होते हैं और लोगों के मन में संदेश पैदा होता है कि अधिकारी को कुछ चाहिए। लोगों के मन में सुशासन को लेकर इस तरह की धारणा आना अपने आप में खतरनाक है। यह किसी भी राज्य के सुशासन को ध्वस्त करने वाली धारणा है। इसे सीधे तौर पर r भ्रष्टाचार जनित शासन ही माना जाएगा। इस स्थित को समाप्त करना बेहद ही जरूरी है।
जनहित में बदले जाएं नियम
राज्यपाल ने नियमों की आड़ में लोगों के काम नहीं होने और सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलने को लेकर तल्खी भरे अंदाज में कहा कि संवैधानिक प्रमुख रहते हुए मैंने अनुभव किया कि नियमों की आड़ में कई बार जनता को लाभ पहुंचाने के कार्य जटिल बन जाते हैं। नियमों की पालना जरूरी है। नियमों को परिस्थितियों के अनुरूप बदलने के प्रयास करें, जिससे जनता को तत्काल लाभ मिले। किसी भी नियम को लेकर यह कहना ठीक नहीं है कि अब तो संविधान संशोधन से ही काम चलेगा। लोकतंत्र में ऐसी व्यवस्था ।
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