भारत में हर साल अस्थमा से हो रही 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, जानिए कैसे बचेगी जिंदगी

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अस्थमा को ही दमा कहते हैं। यह फेफड़े की बीमारी है। अस्थमा के कारण सांस लेने वाली नली में सूजन आ जाती है और वो सिकुड़ने लगती है। सिकुड़न के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ और खांसी जैसी समस्या होती है।

न्यूज जंगल नेटवर्क, कानपुर : इसी महीने लंग इंडिया जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 3 करोड़ 43 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनियाभर में अस्थमा से जितने भी लोगों की मौत होती है, उनमें भारत के 42% लोग शामिल हैं।

अस्थमा की वजह से होने वाली मौत का आंकड़ा

  • दुनिया में हर साल 4 लाख 61 हजार लोगों की मौत होती है।
  • भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की मौत होती है।

ऊपर लिखे आंकड़े चिंताजनक हैं। इससे ज्यादा चिंताजनक तथ्य तो यह है कि भारत में 90% मरीजों को अस्थमा की सही दवा ही नहीं मिलती है, जो उनकी मौत का मुख्य कारण है।

क्या है अस्थमा?
अस्थमा को ही दमा कहते हैं। यह फेफड़े की बीमारी है। अस्थमा के कारण सांस लेने वाली नली में सूजन आ जाती है और वो सिकुड़ने लगती है। सिकुड़न के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ और खांसी जैसी समस्या होती है। अलग-अलग लोगों पर अस्थमा का असर अलग-अलग होता है।

अस्थमा इतना खतरनाक है कि इससे मौत हो जाती है?
 
हां, बिल्कुल। अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो अस्थमा जानलेवा हो सकता है। अस्थमा के मरीज को खांसी का दौरा भी पड़ सकता है। जो कुछ घंटों तक भी जारी रह सकता है। यहां तक कि दौरे के दौरान भी मरीज की मौत हो सकती है।

अस्थमा के कारण कौन-कौन से हैं?

 दुनियाभर के रिसर्चर और डॉक्टर दावा करते हैं कि अस्थमा की बीमारी मुख्य रूप से पर्यावरण और जेनेटिक या अनुवांशिक वजह से होती है।

इसके अलावा अस्थमा के कुछ और कारण भी हैं…

सिगरेट- अस्थमा फेफडे़ की बीमारी है। इसलिए जो लोग सिगरेट पीते हैं, उन्हें अस्थमा हो सकता है।

एलर्जी- अस्थमा की शुरुआत एलर्जी से होती है। एलर्जी के पेशेंट को जरा सी लापरवाही से अस्थमा हो सकता है।

मोटापा- मोटापा कई सारी बीमारियों का कारण है। ऐसे कई सारे मामले देखने को मिलते हैं, जिनमें अस्थमा की बीमारी मोटापे से होती है।

प्रदूषण- प्रदूषण की वजह से अस्थमा हाेने की संभावना बढ़ जाती है।

स्ट्रेस- स्ट्रेस की वजह से कई सारी बीमारियां होती हैं, अस्थमा भी इनमें से एक है।

सवाल- वायु प्रदूषण से कैसे अस्थमा के मरीजों को आता है अटैक?
जवाब- 
अस्थमा के मरीजों पर वायु प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से उन्हें अस्थमा का अटैक भी आ सकता है। दरअसल, प्रदूषण के कुछ पार्टिकल बहुत छोटे होते हैं और आसानी से फेफड़ों में चले जाते हैं। इसकी वजह से अस्थमा का लक्षण तुरंत आपकी बॉडी में ट्रिगर हो जाता है और अस्थमा के अटैक की संभावना होती है। कुछ रिसर्च की मानें तो ज्यादा प्रदूषण वाली जगह पर बच्चों को अस्थमा होने का खतरा ज्यादा होता है।

इनहेलर लेते वक्त सावधानियां

  • इनहेलर का इस्तेमाल कुछ लोग नीचे बैठकर करते हैं। यह तरीका गलत है। इससे आपके फेफड़ों में सही तरीके से सांस नहीं जा पाती है। खड़े रहने से फेफड़ों में पूरी तरह से सांस जाती है और सांस को छोड़ते वक्त फेफड़ों में दबाव नहीं पड़ता है। इसलिए इनहेलर लेते वक्त खड़े रहने की कोशिश करें।
  • अस्थमा के मरीज अक्सर इनहेलर को गलत तरीके से पकड़ते हैं। ऐसा करने से आपको सही फायदा नहीं मिलेगा। इसलिए इनहेलर को झुककर और तिरछा नहीं पकड़ें। इसके इस्तेमाल करने का सही तरीका डॉक्टर से जरूर पूछें।
  • जब मीडियम डोज इनहेलर ले रहे हैं, तब स्पेसर यूज करें। स्पेसर दवा को फेफड़ों तक पहुंचाता है। इनहेलर को स्पेसर में डालने के बाद दवा को डालें और अच्छी तरह से सांस लेते हुए इनहेलर का इस्तेमाल करें। इससे आपकी दवा की सही खुराक फेफड़ों तक पहुंचेगी।
  • इनहेलर यूज करते वक्त जीभ और दांत से उसे दबाएं नहीं। इससे भी दवा सही तरीके से फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाती है।

अस्थमा का इलाज बीच में छोड़ देते हैं मरीज- डॉ. रणदीप गुलेरिया

एम्स (अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान) के पल्मोलॉजी विभाग के डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। इसलिए इसका इलाज भी लंबे समय तक चलता है। बहुत से मरीज जब थोड़ा ठीक महसूस करते हैं तो इनहेलर लेना बीच में ही छोड़ देते हैं। ये काफी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि बीमारी ठीक होने के पहले ही आप अपना इलाज बीच में छोड़ रहे हैं। मरीजों को इनहेलर लेने का सही तरीका और बीच में छोड़ने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। इनहेलर को अपनी मर्जी से बीच में छोड़ना आपके लिए खतरा हो सकता है।

सवाल– अस्थमा के मरीजों को कोरोना हो जाए तो क्या करें?

  • सबसे पहले डॉक्टर से इलाज करवाएं।
  • खुद से दवा न लें। डॉक्टर की बताई दवा ही खाएं।
  • समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें।
  • जिन चीजों से अस्थमा बढ़ता है, उनसे दूर रहें।
  • डॉक्टर से पूछने के बाद ही किसी भी दवा को लेना बंद करें।

अस्थमा के मरीजों को क्या नहीं खाना चाहिए?

  • मूंगफली
  • दूध
  • नमक
  • अल्कोहल
  • अंडे
  • सोया
  • मछली
  • सुपारी

मरीज खुद इस बात को परख सकते हैं कि उन्हें क्या खाने से तकलीफ हो रही है। उन चीजों से परहेज करना चाहिए।

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