‘दिव्य जननी’ के लिए  सशक्त होंगी आंगनबाड़ी

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आईसीडीएस डायरेक्टर शालिनी मोहन के साथ हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट की जोनल कोआर्डीनेटर शालिनी मेहरोत्रा


सुपरवाइजरों का ‘स्तनपान और पूरक पोषण’ पर सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण बाबूजी मेमोरियल आश्रम हार्टफुलनेस संस्था में आयोजित

आईसीडीएस डायरेक्टर डॉ. सारिका मोहन ने सुपरवाइजरों को दिया टास्क
प्रशिक्षण प्राप्त सुपरवाइजर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को करेंगी ट्रेन
2.5 किग्रा. लो-वेट रेट की श्रेणी में, शिशु के वजन
का लक्ष्य 3.2 किग्रा. रखें

लखनऊ। आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास योजना) विभाग ने दिव्यजननी के लिए आगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त करने की पहल शुरू कर दी है । प्रदेशभर से चुनिन्दा टॉप 50 आंगनबाड़ी सुपरवाइजरों को ‘स्तनपान और पूरक पूषण’ पर सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण बाबूजी मेमोरियल आश्रम हार्टफुलनेस संस्था में दिया गया। डायरेक्टर डॉ. सारिका मोहन ने  सुपरवाइजरों को ‘यू आर द बेस्ट’ से सुशोभित कर उनका हौसला अफजाई किया। इसके बाद बताया कि मुझे मातृ एवं शिशु पोषण पर ऑनलाइन कोर्स करने के लिए कहा गया था। क्योंकि, मैं डॉक्टर हूं और ये काम देख रही हूं । मुझे लगा कि यह कोर्स करना मेरे लिए अच्छा होगा । एक माइंडसेट लेकर मैंने मुंबई की प्रसिद्ध बालरोक विशेषज्ञ डॉ. रूपल दलाल के कोर्स का अध्ययन शुरू किया । उन्होंने अमेरिका में भी स्तनपान और शिशु के विकास पर बहुत सारे कार्य किए हैं। इस चार माह का कोर्स करने के बाद मेडिसिन या अपने विभाग के काम को लेकर जो भी भ्रम थे, वे सभी दूर हो गए। पहले तो आप सभी सुपरवाइजरों के लिए यह कोर्स अनिवार्य करना चाहती थी। विभाग के पास संसाधनों को देखते हुए मैंने डॉ. दलाल से प्रदेश की जो सबसे अच्छी सुपरवाइजर हैं , उन्हें ट्रेनिंग दिलाने की बात की। इसलिए यहां उपस्थित आप सब हमारे लिए बेस्ट हैं। प्रशिक्षण लेने के बाद आप हमारे मास्टर ट्रेनर के रूप में काम करेंगी। आप ही हमारी रिसोर्स बनेंगी और आपके ही माध्यम से सभी फील्ट वर्कर को प्रशिक्षित किया जाएगा ।
हालांकि यह सच है कि आपके पास कई वर्षों का अनुभव है। फील्ड में आप ने बहुत कुछ देखा भी है । इसके बावजूद हमें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। अनुरोध है कि आप अपने भ्रम और अनुभव को अलग करके प्रशिक्षण को खुले दिमाग से लें और भी जो बताया जा रहा है उसे सीखें।  मैंने जब एमबीबीस किया था, तब के बाद साइंस ने भी बहुत विकास किया है। आप सबके नौकरी के बाद भी बहुत सारी चीजें बदली हैं। डब्ल्यूएचओ ने भी तब से बहुत सारे शोध किए हैं , उससे भी कई सारे तथ्य निकलकर आगे आए हैं। आपको पहले जो भी तथ्य लगते थे, वे अब बदल गए हैं । अभी जो एनएफएचएस (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वोक्षण) के आंकड़े आए हैं , उसमें आप सबकी मेहनत दिख रही है। मेरी जानकारी के मुताबिक स्टंटिंग ( उम्र के हिसाब से लंबाई कम होना) और वेस्टिंग (लंबाई के अनुसार वजन कम होना) में पूरे भारत में यूपी के मानक में सुधार आया है । एक्सक्लयूसिव ब्रिस्ट फीडिंग की बात करें तो देश के आंकड़े पहले से बेहतर हुए हैं। यूपी को कुपोषण से मुक्त बनाना है। स्टंटिंग अब सर्वांगीण विकास का मुख्य सूचक है। यह अलग बात है कि स्टंटिंग पर हम अब तक कुछ कर नहीं कर रहे थे। हमारे पास लंबाई नापने के लिए यंत्र नहीं थे। अब हमारे पास मोबाइल , ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस और पोषण ट्रेकर जैसे एप हैं। हम अब नियमित रूप से शिशु वृद्धि निगरानी करवा सकते हैं । सुपरवाइजर के नाते आपका परम दायित्व है, आगनबाड़ी कार्यकत्री की मॉनिटरिंग, उसका सपोर्ट है। इस रोल को सशक करने के लिए आप सबको बुलाया गया है । यहां से जो भी आप सीखकर जाएंगे, उसे फील्ड वर्कर तक लेकर जाएं। ये फील्ड वर्कर स्तनपान या पूरक पोषण को लेकर प्रशिक्षण में जो भी सलाह और सावधानियां बताई गई हैं, उनके बारे में लाभार्थियों को अवगत कराएंगे। तभी, सही मायने में प्रशिक्षण का लाभ मिल पाएगा।

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