ज्ञानवापीः ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग पर टला फैसला ,अब 11 को होगी सुनवाई

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वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने अपना आदेश टाल दिया है। अगली सुनवाई 11 को होगी।

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : ज्ञानवापी मस्जिद और शृंगार गौरी मामले में जिला अदालत का फैसला आज टाल दिया गया . अब इस पर 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी. कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान मस्जिद के वजू खाने में एक आकृति मिली थी. इसको लेकर हिंदू पक्ष ने आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग होने का दावा किया था. वहीं मुस्लिम पक्ष ने आकृति को फव्वारा बताया था. इसके बाद शृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में याचिका दायर करने वाली वादी महिलाओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की थी. इसके लिए एक याचिका भी दाखिल की गई थी. हालांकि, मुख्य वादी राखी सिंह ने इसका विरोध किया था. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने भी कार्बन डेटिंग का विरोध किया था. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने पिछली सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

क्या होता है कार्बन डेटिंग ?
साल 1949 में अमेरिका के ‘एडवर्ड लेबी’ ने कार्बन डेटिंग की खोज की थी. यह एक ऐसा तरीका है, जिससे किसी चीज की उम्र का पता लगाया जा सकता है. इसकी परिभाषा पर आएं तो कार्बन डेटिंग एक ऐसी विधि है जो कार्बनिक पदार्थों की अनुमानित उम्र के बारे में बताती है. इस विधि से लकड़ी, मिट्टी की चीजें, कई तरह की चट्टानों वगैरह की उम्र का अंदाजा लगाया जाता है. इसकी मदद से 40 से 50 हजार साल की सीमा का पता लगाया जा सकता है

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