Farm Laws के आगे सरकार का रास्ता, MSP पर समिति में किसान होंगे शामिल

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संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी सोमवार 29 नवंबर को किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को आधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया जाएगा.

न्यूज जगंल डेस्क, कानपुर : नरेंद्र मोदी सरकार  (Narendra Modi Government) ने शनिवार को एक समिति गठित करने के अपने निर्णय की घोषणा की जो फसल विविधीकरण, शून्य बजट खेती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में पारदर्शिता सहित किसानों के कल्याण के मुद्दों पर विचार करेगी. 

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि समिति तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद आगे का रास्ता बताएगी. इसमें किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. संसद के शीतकालीन  सत्र के पहले दिन यानी सोमवार 29 नवंबर को किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को आधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया जाएगा.

विभिन्न किसान संघों के तत्वावधान में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली के गाजीपुर, सिंघू और टिकरी सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. तीन विवादित कानूनों को वापस लेने के साथ ही किसान MSP पर गारंटी की भी मांग भी कर रहे हैं. उधर किसानों की मांगों पर समिति गठित कर के सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद आगे का रास्ता बनाने की कोशिश में है ताकि आंदोलन खत्म हो सके.

संसद में कानून वापस लेने तक आंदोलन पर किसान
एक ओर जहां प्रदर्शनकारी किसानों ने कानूनों को निरस्त करने की पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा का स्वागत किया तो वहीं उन्होंने संसद में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने तक आंदोलन वापस लेने से इनकार किया है. तोमर ने शनिवार को किसान संघों से धरना समाप्त करने और अपने घरों को लौटने की अपील की. उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकार ने पराली जलाने को अपराध से मुक्त करने की उनकी मांग को स्वीकार कर लिया है.

तोमर ने कहा- ‘इस समिति के गठन के साथ, MSP पर किसानों की मांग पूरी हो गई है. किसान संगठनों ने पराली जलाने को अपराध से मुक्त करने की मांग की थी. भारत सरकार ने  इस मांग को भी  स्वीकार कर लिया है… आंदोलन जारी रखने का कोई मतलब नहीं है. मैं किसानों से आंदोलन खत्म करने और घर जाने का आग्रह करता हूं.

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तोमर ने यह भी कहा कि एक साल के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामले राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जो तय करेंगे कि अब उन पर क्या फैसला करना है. मंत्री ने कहा कि किसानों के लिए फसल मुआवजा भी राज्य की नीति के अनुसार तय किया जाएगा. सरकार की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के  नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘हमने जो समिति बनाई है उसकी पूरी जानकारी नहीं है. जानकारी मिलने पर हम टिप्पणी करेंगे.’

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