उत्तराखंड में गोपीनाथ मंदिर एक तरफ झुका, आसपास के इलाके में दरारें

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Gopinath Temple Chamoli: चमोली के जिला अधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जोशीमठ और कर्णप्रयाग में लगातार प्रशासन की पैनी नजर बनी हुई है. आपदा से निपटने के लिए जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम भी बना दिया गया है. यहां एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम की तैनाती की गई गया है.

News Jungal Desk: उत्तराखंड के चमौली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित गोपीनाथ मंदिर के तिरछा होने, गर्भ ग्रह में पानी टपकने तथा मंदिर के आसपास दरार पड़ने की खबर मिली है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से मंदिर में कुछ अलग ही बदलाव दिखाई दे रहे हैं, जो कि आने वाले समय में बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं. हक-हकूक धारी और पुजारियों का कहना है कि पूरे मामले को लेकर पुरातत्व विभाग को पहले ही अवगत करा दिया गया है और पुरातत्व विभाग से फिलहाल संपर्क भी किया जा रहा है.  उधर, जोशीमठ घरों में दरार के मामले में प्रशासन ने अभी तक ₹20 करोड़ का मुआवजा देने का ऐलान किया है.

गोपीनाथ मंदिर का गर्भग्रह 30 वर्ग फुट में फैला हुआ है. यह रुद्रनाथ भगवान के शीतकालीन गद्दी पड़ाव का प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है. इसके निर्माण में कत्यूरी शैली का प्रयोग किया गया है, जिसके चलते मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दी गई है और अब मंदिर में पड़ रही दरारें तथा पानी टपकने की घटना से स्थानीय लोग काफी चिंतित हैं. हरीश भट्ट ,अतुल भट्ट हक-हकूक धारी ने बताया कि मामले को लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार और पुरातत्व विभाग को भी लिखित तौर पर पत्र लिखे गए हैं, लेकिन अभी तक इस और कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.

वहीं, दूसरी तरफ मानसून में एक बार फिर से जोशीमठ और कर्णप्रयाग नगर में लोगों की चिंताएं बढ़ गई है. जोशीमठ में जनवरी महीने में आई दरारें हालांकि 6 महीने बीत जाने के बाद थोड़ी सी कम जरूर हुई है, लेकिन अगर मानसून में ज्यादा बारिश हुई तो दरारों के बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है जिसको लेकर प्रशासन ने व्यवस्थाएं भी की हुई हैं.

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