न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर 40 फीसद महिलाओं को टिकट देने की बात करने वाली काँग्रेस ने एक और बड़ा निर्णय लिया है। अब कांग्रेस की टिकट के लिए वार्ड अध्यक्ष का अनुमोदन पहली प्राथमिकता होगी। बिना वार्ड अध्यक्ष की मुहर के कोई विधानसभा का टिकट नही पा सकेगा। इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बकायदा एक फॉर्मेट भी तैयार कर लिया है। जिसमें नगर अध्यक्ष के साथ में वार्ड अध्यक्ष की भी मुहर लगने के बाद ही कोई कांग्रेसी प्रत्याशी टिकट का दावा कर पाने की स्थिति में होगा। कांग्रेस ने एक बार फिर साबित करने की कोशिश की है, कि उसके लिए छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी बेहद महत्वपूर्ण है।



क्या है काँग्रेस का नया निर्णय
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने एक और बड़ा निर्णय लेकर विरोधी पार्टियों के सामने अपने वार्ड स्तर कर कार्यकर्ताओं के महत्व को सर्वोच्य पर किया है। कांग्रेस ने नए फार्म व्हाट्सएप कर सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश जारी किया है, कि विधानसभा के सभी दावेदार उस फार्म की अनिवार्यताएं पूर्ण करें। दिए गए फार्म में सबसे नीचे की तरफ सिर्फ दो लोगो को अनुमोदन करना होगा। जिसमें से एक शहर के अध्यक्ष रहेंगे, जबकि दूसरा अनुमोदन वार्ड अध्यक्ष का जरूर होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जिला अध्यक्ष के साथ ब्लॉक अध्यक्ष का अनुमोदन जरूरी होगा।
व्हाट्सएप से दिया गया निर्देश,
काँग्रेस की पहली सूची दशहरा से पहले आनी थी। लेकिन अचानक 40 फीसद महिलाओं को टिकट देने के निर्णय के चलते पहली लिस्ट जारी नही हो सकी। चुनाव प्रचार के लिये पार्टी के उम्मीदवार को ज्यादा समय मिल सके इसके लिये शीर्ष नेतृत्व ने व्हाट्सएप के जरिये सभी जिलाध्यक्षों को निर्देशित किया है। दिये गए निर्देशों में स्प्ष्ट किया गया है कि सभी दावेदार जिलाध्यक्षों के साथ वार्ड अध्यक्ष और ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लॉक अध्यक्ष से भी अनुमोदन कराएं। इसके लिये एक फार्मेट भी व्हाट्सएप में जरिये दिया गया है।
काँग्रेस में पंक्ति का हर कार्यकर्ता सबसे महत्वपूर्ण
काँग्रेस अध्यक्ष (उत्तरी) नौशाद आलम मंसूरी का कहना है कि असल मे लोकतंत्र के सही मायने सिर्फ काँग्रेस पार्टी में है। यहाँ कार्यकर्ता सिर्फ दरी बिछाने के लिये नही है। हर कार्यकर्ता का महत्व है। काँग्रेस दक्षिण के अध्यक्ष शैलेंद्र दीक्षित का कहना है कि पार्टी के सभी निर्णय में कार्यकर्ताओं की राय और सहमति मायने रखती है। इसी का प्रमाण है कि आगामी विधानसभा में टिकट तय करने का अधिकार जिलाध्यक्ष के साथ वार्ड अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष को भी सौपा गया है।
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काँग्रेस सरकार में वार्ड अध्यक्ष की रहती थी हनक,
सभी पार्टियों के गलियारे में इस बात की चर्चा आज भी होती है, कि काँग्रेस सरकार में वार्ड अध्यक्ष की आवाज हमेशा मजबूत रही है। राजनीतिक गलियारों में तो बात यह भी चर्चा का विषय बनी हुई है कि काँग्रेस के वार्ड अध्यक्ष का मतलब कांग्रेसी विधायक से कम नही आंकी जाती रही है। बल्कि वार्ड स्तर पर जनसमस्याओं के निस्तारण की ज़िमेदारी वार्ड अध्यक्ष को ही सौंपी गई थी।