BJP के लिए नाक का सवाल बनी इलाहाबाद-कौशाम्बी सीट, सपा ने भी लगाया पूरा जोर.

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इलाहाबाद-कौशाम्बी सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. बीजेपी के लिए ये नाक का सवाल है तो वहीं सपा प्रत्याशी अपनी जीत को दोहराना चाहेंगे.

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : यूपी में हो रहे विधान परिषद चुनाव के लिए इलाहाबाद-कौशाम्बी सीट पर पांच उम्मीदवार मैदान में हैं. लेकिन हकीकत तो ये हैं कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. बीजेपी के लिए ये नाक का सवाल इसलिए भी हैं क्योंकि यहां पर सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की प्रतिष्ठा दांव पर हैं. विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बावजूद इलाहाबाद और कौशांबी दोनों ही जिलों में बीजेपी का प्रदर्शन उतना बेहतर नहीं रहा था. 

बीजेपी की नाक का सवाल बनी सीट

इलाहाबाद और कौशांबी दोनों जिलों में 15 विधानसभा सीटे हैं. जिसमें से बीजेपी को करीब आधी यानी 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था ऐसे में बीजेपी एमएलसी चुनाव में अपना प्रत्याशी जिताकर विधानसभा चुनाव के झटके को थोड़ा कम जरूर करना चाहेंगे. इलाहाबाद कौशाम्बी सीट पर बीजेपी ने प्रयागराज के पूर्व मेयर डा० केपी श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है. जो कुछ साल पहले ही सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. केपी श्रीवास्तव अपना निजी अस्पताल चलाते हैं और कायस्थों में उनकी अच्छी पैंठ हैं. 

बीजेपी प्रत्याशी ने किया ये दावा

केपी श्रीवास्तव एमएलसी चुनाव में अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि देश हो या प्रदेश इन दिनों मोदी और योगी के नाम का जादू चल रहा है. मतदाताओं के पता है कि सत्ता पक्ष का एमएलसी ही क्षेत्र के विकास और सरकारों से सौगात ला सकता है. वहीं दूसरी तरफ सपा के प्रत्याशी निवर्तमान एमएलसी वासुदेव यादव भी अपनी जीत का दावा  कर रहे हैं. वासुदेव यादव यूपी में माध्यमिक शिक्षा विभाग में तमाम बड़े पदों पर रह चुके हैं. उनकी बेटी विधानसभा का पिछ्ला चुनाव भी लड़ चुकी हैं.

सपा प्रत्याशी के वासुदेव यादव के भी हौसले बुलंद

पंचायत चुनावों में सपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली है. इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की पंद्रह में से सात सीटों पर पार्टी की जीत से उनका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है. वासुदेव यादव का दावा है कि सपा की सरकारों ने पंचायतों को जितने अधिकार दिए, उसे प्रतिनिधि अच्छी तरह समझते हैं. उनका कहना है कि बीजेपी ने झूठे वायदों से लोगों को गुमराह कर विधानसभा का चुनाव किसी तरह जीत लिया, लेकिन जिस तरह महंगाई और बेरोज़गारी बढ़ रही है, उससे लोगों में काफी नाराज़गी है. 

जानिए यहां का सियासी समीकरण

इलाहाबाद कौशाम्बी सीट पर कुल 5146 वोटर हैं। इस चुनाव में आम जनता वोट नहीं करती, बल्कि जनता द्वारा स्थानीय क्षेत्र में चुने हुए प्रतिनिधि वोट डालते हैं। इस सीट के चुनाव में लोकसभा के 3 सांसद, राज्यसभा के 1 सांसद, 15 विधायक, 4 एमएलसी, मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निगम के 77 पार्षद, जिला पंचायत के 100 से ज़्यादा सदस्य, नगर पंचायतों के पार्षद, 2 हज़ार से ज़्यादा ग्राम प्रधान और ढाई हज़ार से ज़्यादा बीडीसी सदस्य वोट डालेंगे. वोट डालने वाले वीआईपी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, केशरी देवी पटेल, विनोद सोनकर राज्यसभा सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह और प्रयागराज की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी प्रमुख हैं.

एमएलसी चुनाव के लिए विशेष इंतजाम

एमएलसी चुनाव के लिए कुल 33 केंद्र बनाए गए हैं. इनमें 25 प्रयागराज और 8 कौशाम्बी में हैं. प्रयागराज शहर में नगर निगम दफ्तर और जिला पंचायत दफ्तर के तौर पर दो केंद्र हैं. इसके अलावा दोनों जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के सभी ब्लॉक मुख्यालयों पर भी वोट डाले जाएंगे. चुनाव को लेकर सपा और भाजपा दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार अपनी जीत के बड़े बड़े दावे कर रहे हैं. हालांकि उनके दावों में कितना दम है, इसका फैसला तो 12 अप्रैल को होने वाली वोटों की गिनती के बाद ही हो सकेगा. 

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