कृषि कानून वापस हो सकते हैं तो सीएए, एनआरसी क्यों नहीं, 370 की बहाली क्यों नहीं!
सेंट्रल डेस्क। मोदी सरकार द्वारा विवादित कृषि कानून क्या वापस लिए जाने के बाद दो अन्य कथित विवादित कानूनों- सीएए और एनआरसी की वापसी की मांग जोर पकड़ने लगी है। मांग करने वालों की भी उम्मीद जाग गई है। यही नहीं 370 की बहाली की मांग भी उठने लगी है। इन दोनों कानूनों के खिलाफ भी देश के विभिन्न हिस्सों में लंबे समय तक आंदोलन चले थे। जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जिस तरह सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया है उसी तरह सीएए और एनआरसी कानून भी वापस ले। मुस्लिमों ने पूरे हिंदुस्तान में इस मसले को लेकर प्रदर्शन किए। मदनी ने कहा कि पिछले आठ सालों में न सरकार उनके पास आई है और वे कभी सरकार के पास गए।
द्र सरकार द्वारा कृषि कानून को रद्द करने के फैसले के बाद कई विपक्षी दलों द्वारा अनुच्छेद 370 की बहाली और सीएए-एनआरसी की वापसी की उम्मीद जताई जाने लगी है। विपक्षी दलों की इस उम्मीद को गलतफहमी करार देते हुए केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि विपक्ष सोच रहा है कि कृषि कानून वापस हो गए तो CAA-NRC भी वापस हो जाएंगे तो यह उनकी गलतफहमी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के एक दिन बाद केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि विपक्ष को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए। तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा नहीं है। विपक्ष सोच रहा है कि कृषि कानून वापस हो गए तो CAA-NRC भी वापस हो जाएगा। CAA-NRC वापस करने की मांग जो कर रहे हैं वे गलतफहमी के शिकार है । ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वो दिन दूर नहीं है जब केंद्र की मोदी सरकार नागरिकता संशोधित कानून भी वापस लेगी।
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वहीं जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में लिए गए ‘अवैध फैसलों’ में सुधार करेगी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ”कृषि कानूनों की वापसी का फैसला और माफी स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से उपजा हो। विडंबना यह है कि जहां भाजपा को वोट के लिए शेष भारत में लोगों को खुश करने की जरूरत है, वहीं कश्मीरियों को दंडित और अपमानित करना उनके प्रमुख वोटबैंक को संतुष्ट करता है