आगरा:-आखिर क्यों करते हैं इन गांवो के लोग ताजमहल से नफरत, जानिये वजह

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पूरे विश्व में ताजमहल अपनी खूबसूरती की वजह से जाना जाता है लेकिन इसी मुहब्बत और खूबसुरती की निशानी ताजमहल से 4से 5 गांव नफरत करते है ,सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी.

न्यूज जंगल नेटवर्क, कानपुर : पूरे विश्व में ताजमहल अपनी खूबसुरती के वजह से जाना जाता है .वही इस खूबसुरती की निशाना से 4से 5 गांव के लोग नफरत करते है ,उसके पीछे की वजह जानकर हैरान रह जायेंगे ,दरअसल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी.आगरा के 5 गांव गढ़ी वंगस , नगला पेमा, कलपी नगला, अहमद बुखारी, इन गांवों का रास्ता ठीक ताजमहल के बगल से गुजरता है.सुरक्षा की दृष्टि से इस गांव की ओर जाने वाले व्यक्ति को पास की आवश्यकता होती है.गांव के अधिकतर लोगों ने पास बनवा रखा है.लेकिन उनके रिश्तेदारों को गांव में आने में बेहद समस्याओं का सामना करना पड़ता है.चेक पॉइंट पर खुद जिसके घर पर रिश्तेदार आए हैं उसको बुलाया जाता है.उसके बाद ही उन्हें गांव में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है.

40 फ़ीसदी गांव में कुंवारे हैं युवा, नहीं आ रहे हैं शादी के रिश्ते
स्थानीय लोगों का कहना है जिस मोहब्बत की निशानी को सात समुंदर पार से लोग देखने के लिए आते हैं ताजमहल को एक नजर पाने की इच्छा रखते हैं.उसी के पास रहने वाले गांव के लोग इससे बेहद नफरत करते हैं.उनका कहना है कि काश यह ताज महल जैसी इमारत हमारे आस पास नहीं होती.Tajmahal के ठीक बगल से इन 5 गांवों का रास्ता जाता है.इन गांवों की लगभग आबादी 20 से 25 हजार है.सबसे बड़ी दिक्कत इनको निकलने में होती है.किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में इनके रिश्तेदार नहीं पहुंच पाते हैं.रिश्तेदार तो छोड़िए शादी विवाह जैसे पवित्र रिश्ते के कार्ड देने व युवाओं के रिश्ते के लिए भी अब यहां पर लोग नहीं पहुंच रहे हैं.जिसकी वजह से 40 से 45 फ़ीसद युवा आज भी यहां कुंवारे हैं.

मदद के लिये नही पहुंचती है एम्बुलेंस
ताजमहल के पूर्वी गेट के पास दशहरा घाट की ओर से गांव अहमद बुखारी, नंगला पैमा, गढ़ी बंगस, नगला तल्फी और नगला ढींग पांच गांव हैं.1992 में ताजमहल को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में लिया था.इसके बाद से इन गांव के लोगों को गाँव से शहर जाने के लिए दशहरा घाट के निकट लगे नगला पैमा पुलिस चेक पोस्ट से होकर गुजरना पड़ता है या फिर 10 किमी घूमकर धांधूपुरा होकर जाना पड़ता है.गांवों में रहने वालों को सीओ ताजसुरक्षा से वाहन पास बनवाना पड़ता है और साथ ही आधारकार्ड रखना पड़ता है.बैरियर पर चेकिंग के बाद ही यह लोग जा सकते हैं.कोई रिश्तेदार यहां अपना वाहन नहीं ला सकता है.इन्हे खुद आकर उसे अपनी बाइक पर ले जाना होता है.सुबह और शाम थोड़ी देर के लिए बैट्री रिक्शा को छूट मिलती है.आगर कोई बीमार होता है या फिर गर्भवती महिला को इलाज के लिए ले जाना पड़ता है तो केवल यहां पर सरकारी एंबुलेंस ही पहुंच पाती है.ताजमहल पर माह के पांच दिन रात्रि दर्शन के समय और वीआईपी मेहमान आने पर गाँव में ही कैद रहना पड़ता है.स्थानीय पार्षद का कहना है कि इस समस्या से कुछ लोग यहां से पलायन भी कर रहे हैं .

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