अफगानिस्तान:  Kabul की एक मस्जिद में ब्लास्ट , धमाके में 30 की मौत

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अफगानिस्तान के हेरात प्रांत की गुजरगाह मस्जिद में बम विस्फोट से 14 लोगों की मौत हो गई जबकि 200 लोग बुरी तरह घायल हैं. अस्‍पताल में इन घायलों का इलाज किया जा रहा है. इस धमाके में मस्जिद के इमाम मौलवी मुजीब रहमान अंसारी की मौत हो गई

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : अफगानिस्तान के हेरात प्रांत की गुजरगाह मस्जिद में बम विस्फोट से 14 लोगों की मौत हो गई है जबकि 200 लोग बुरी तरह घायल हुए हैं. अस्‍पताल में इन घायलों का इलाज चल रहा है. हालांकि अस्‍पताल में न तो पर्याप्‍त संख्‍या में डॉक्‍टर हैं और न ही सुविधाएं. और इस धमाके में मस्जिद के इमाम मौलवी मुजीब रहमान अंसारी की मौत हो गई है. सूत्रों के हवाले से टोलो न्यूज ने ये खबर दी है. कि जबकि अभी तक इस बारे में तालिबान की सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

अफगानिस्‍तान में पत्रकार बिलाल सरवरी ने ट्विटर हैंडल से घटना के बारे मेंं दी जानकारी उन्‍‍‍‍‍होंने कहा है कि  धमाके मेंं घायल हुए लोगों को खून की जरूरत है और अभी अस्‍पताल में खून नहीं है. बहुत कम संख्‍या में डॉक्‍टर हैं. सोशल मीडिया पर धमाके के बाद के कुछ वीडियो डाले गए हैं. जिनसे साफ है कि हेरात में गुजरगाह मस्जिद में विस्फोट के बाद काफी बड़े पैमाने पर तबाही हुई है. इस विस्फोट में हताहतों की संख्या बहुत अधिक है. गौरतलब है कि हाल ही में अफगानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना की वापसी और तालिबान के सत्ता में आने के एक साल पूरे हुए हैं. तालिबान पिछले अगस्त में आसानी से सत्ता में आ गया था, जब अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं ने 20 साल के संघर्ष के बाद सभी विदेशी सैनिकों की जल्दबाजी में वापसी कराई गई है .

मौलवी मुजीब अंसारी की मौत 

हेरात में गुजरगाह मस्जिद के अंदर हुए विस्फोट में मौलवी मुजीब अंसारी मारे गए, उनको इस्लाम का एक बड़ा विद्वान और धार्मिक नेता माना जाता है. और अंसारी तालिबान से जुड़े प्रमुख धार्मिक नेताओं में से एक थे. मौलवी मुजीब रहमान अंसारी को तालिबान का करीबी और एक कट्टरपंथी मौलवी माना जाता था. और तालिबान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं की वापसी की पहली वर्षगांठ भी मनाई. जिसमें विदेशी सैनिकों द्वारा छोड़े गए सैन्य उपकरणों को एक परेड में प्रदर्शन किया गया. इसके बावजूद तालिबान सरकार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैध सरकार के रूप में स्वीकार करने वाले देशों की संख्या कम है. माना जा रहा है कि तालिबान के ज्यादातर विरोधी अब कमजोर हो चुके हैं और किसी में तालिबान का सामना करने की ताकत अब नहीं बची है. लेकिन देश के कई हिस्सों में होने वाले भीषण धमाकों से लगता है कि तालिबान की राह इतनी आसान नहीं होने वाली है

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