‘वागले की दुनिया’ का एक साल पूरा होने पर जावेद अख्‍तर से बेबाक बातचीत, पढ़े आगे…

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सोनी सब पर ‘वागले की दुनिया’ का एक साल पूरा होने पर बात करते हुए जावेद अख्‍तर ने कहा, “वागले की दुनिया में हम सब की कहानी है’’

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर :  सोनी सब का शो ‘वागले की दुनिया’ दिल को छू लेने वाली सरलता और आकांक्षाओं का उत्‍सव है, जिसने मध्‍यम-वर्गीय भारत की मजबूत मूल्‍य व्‍यवस्‍था, विनम्र संस्‍कारों और रोजाना की जिन्‍दगी की दौड़-भाग का चित्रण कर लाखों दिल जीते हैं। अपनी बेहद प्रासंगिक कहानी और खूबसूरती से बुने किरदारों के कारण ‘वागले की दुनिया’ ने सफलतापूर्वक एक साल पूरा कर लिया है और इस यादगार अवसर पर दिग्‍गज शायर-गीतकार-पटकथा लेखक जावेद अख्‍तर इस शो की विरासत की तारीफ कर रहे हैं। एक बेबाक बातचीत में

उन्‍होंने सोनी सब के साथ अपने जुड़ने के बारे में बताया और यह कि उन्‍हें क्‍यों लगता है कि “वागले की दुनिया में हम सब की कहानी है’’

1. आपको सोनी सब के ‘वागले की दुनिया’ से जुड़ने के लिये किसने प्रेरित किया?

‘वागले की दुनिया’ के छोटे-छोटे पलों, खुशियों और दुखों ने मुझे हमेशा लुभाया है। एक परिवार के तौर पर हम इन चीजों को साझा करते हैं और एक-दूसरे से अलग होने के बावजूद जिन्‍दगी की सारी परिस्थितियों से मिलकर निपटते हैं। मुझे नहीं लगता कि विविधता को ‘वागले की दुनिया’ की तरह दिखाने वाली कहानियाँ अच्‍छी तादाद में हैं। मैं ‘वागले की दुनिया’ के एक साल पूरा होने के यादगार मौके पर सोनी सब के साथ जुड़कर बहुत खुश हूँ और सच में कामना करता हूँ कि भारत आने वाले समय में भी इस शो के किरदारों में अपनी खुशियाँ खोजता रहे, उनके साथ आनंद लेता रहे।

2. टेलीविजन जैसे बिखरे हुए जोनर में आपके हिसाब से ‘वागले की दुनिया’ अलग कैसे है?

‘वागले की दुनिया’ ने अपनी हल्‍की-फुल्‍की, लेकिन मायने रखने वाली कथानक और किरदारों से टेलीविजन के सांचे को तोड़ा है और जिन्‍दगी से भरे किस्‍सों से प्रगतिशील और प्रासंगिक विषय उठाये हैं। इससे मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक प्रभाव भी पैदा होता है और इसलिये यह टेलीविजन पर दूसरे कंटेन्‍ट से अलग है।

3. आपके लिये परिवार के क्‍या मायने हैं? भारत में जब हम एक परिवार में जन्‍म लेते हैं, परिवार में ही रहते हैं और परिवार के साथ हमारा लगाव बहुत मजबूत होता है। हालांकि चीजें बदल रही हैं और हम न्‍यूक्‍लीयर फैमिली बना रहे हैं, लेकिन एक तरीके से हम अब भी जॉइंट फैमिली हैं। हम एक-दूसरे की जिन्‍दगी के बारे में जानना और अपडेट रहना चाहते हैं;

हम हमेशा सहयोग या सलाह देने के लिये तैयार रहते हैं। हम अक्‍सर लड़ते भी हैं, लेकिन कभी अलग नहीं होते और ‘परिवार’ में होने की सबसे अच्‍छी बात यही है।

4. सोनी सब का ‘वागले की दुनिया’ 80 के दशक के ‘वागले की दुनिया’ का आधुनिक चित्रण है, क्‍या आपने पुराना वर्जन देखा था?

हाँ, बिलकुल, हम सभी ने उसे जीया है और मुझे यकीन है कि ऐसे लोग बहुत कम होंगे, जिन्‍होंने यह बेहतरीन शो नहीं देखा।

5. आपकी पीढ़ी के हिसाब से क्‍या आपको लगता है कि पारिवारिक मूल्‍य खत्‍म हो रहे हैं और युवाओं के लिये आपका संदेश क्‍या है?

मेरा मानना है कि बीतते समय के साथ चीजें बदलती हैं और फैमिली सेटअप में भी ऐसा ही है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवारों के बीच चीजें बदलती हैं। समय के साथ जिन्‍दगी बदलती है, दुनिया और इकोनॉमीज बदलती हैं और इसके साथ सामाजिक और नैतिक मूल्‍य भी बदलते हैं, बदलाव स्‍थायी है और उसे टाला नहीं जा सकता। युवा ज्‍यादा सीधा और व्‍यवहारिक संवाद करते हैं, खुले तौर पर भावुक नहीं हैं। लेकिन फिर भी मुझे नहीं लगता कि प्‍यार कम हुआ है। लेकिन मैं आग्रह करूंगा कि वे अपने मूल को न छोड़ें, वे मूल्‍य, जो हमें वैसा बनाते हैं, जैसे हम हैं।

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