वाजिद अली शाह दे गए थे कानपुर को नेहारी कुल्चे की सौगात !

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न्यूज जंगल कानपुर नेटवर्क :- कानपुर तारीखी शहर है यहां जहां एक तरफ त्याौहारों पर गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल दिखाई देती है तो यहां पर त्यौहारों पर खास पकवान भी बनाये जाते है जो पूरे हिन्दुस्तान मे शहर को पहचान दिलाती है ऐसा ही कानपुर मे रमजान के महीने मे खास तौर से नेहारी कुल्चे जो कि बकरे के पाये से तैयार की जाती है इसी महीने मे मिलती है जिसका लोग इंतजार करते है पेश कानपुर

कानपर शहर मे रमजान के महीने मे खास तौर से कई तरह के पकवान बाजारों मे मिलते है लेकिन रोजेदारों को इफ्तार के बाद कुछ ऐसा पकवान मिल जाये जिससे उनकों शारीरिक ताकत भी मिले और मुंह का जायका भी दुरूस्त कर दे ऐसा ही पकवान नेहारी कुलचे जो की रमजान के महिने मे ही मिलता है

शहर के अलग अलग इलाकों जिनमे , जाजमऊ , बेकनगंज , तलाक महल , चमनगंज इलाको में रमजान के महीने मे पूरी रात यहां लोग बडे चाव से खाने के लिये आते है कानपुर रमजान की रातों मे पकवानो की दुकाने सजती है लेकिन कानपुर के चमनगंज मे मौजूद अजमेरी होटल जो कि पिछले 60 सालों से यहां पर है इस चौराहे की पहचान ही अजमेरी चौराहे के तौर पर जानी जाती है

यहां पर नेहारी कुलचे का जायका लेने के लिये दूर दूर से लोग आते है पूरे राज यहां भीड भाड रहती है अजमेरी होलट के मालिक अतीक बताते है कि यहां के नेहारी कुल्चे फेमस इसलिये हैं कि खास तौर से बकरे के पाये से तैयार किया जाने वाली नेहारी मे 70 से ज्यादा तरह से मसालों का इस्तेमाल किया जाता है इसमें मेवे भी डाले जाते है साथ ही इसका एक तारीखी किस्सा भी है कि

वाजिद अली शाह जब अपनी सत्ता से बेदखल हुये तो जब कानपुर के रास्ते से वो निकले और जितने दिन यहां रूके उनके बावर्ची ने नेहारी बनाई तब से यहां नेहारी बनाने का चलन हुआ वहीं कानपुर व अन्य जगहो से यहां पर खाने वाले लोग भी नेहारी की जमकर तारीफ करते है तो वहीं रमजान का इंतजार भी करते है कि रमजान मे नेहारी मिलेगी ।

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