झारखंड में 77% का कुल आरक्षण दिया गया, हेमंत सोरेन के क्या होंगे दूरगामी असर?

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आरक्षण बढ़ाने से संबंधित विधेयक राजनीतिक रूप से इतने संवेदनशील माने जा रहे हैं कि मुख्य विपक्षी बीजेपी ने भी सदन में इसका समर्थन किया. दूसरी तरफ आजसू ने आरक्षण सीमा बढ़ाकर 90% करने का प्रस्ताव रखा।

न्यूज जंगल डेस्क :- झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में आरक्षण की ऊपरी सीमा को 60 फीसदी से बढ़ाकर 77 फीसदी करने का विधेयक आज विधानसभा से पारित करा लिया। सीएम हेमंत ने यह कवायद ऐसे वक्त में की है, जब अवैध खनन मामले में वह प्रवर्तन निदेशालय के ‘निशाने’ पर हैं और उनकी विधायकी पर तलवार लटकी हुई है। हालांकि, यह 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी का किया हुआ वादा था, जिसे उन्होंने अब पूरा कर दिया है। इसके साथ ही सोरेन ने अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है।

किस समुदाय को अब कितना रिजर्वेशन:
अभी झारखंड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 26, अनुसूचित जाति (एससी) को 10, पिछड़ों को 14 फीसदी और ईडब्ल्यूएस  को 10 फीसदी आरक्षण मिल रहा था। इस विधेयक के कानून बनने और 9वीं अनुसूची में शामिल होने के बाद एसटी को 28, एससी को 12, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 तथा पिछड़ों का आरक्षण 27 प्रतिशत हो जायेगा। विधेयक में कहा गया है कि राज्य संविधान की नौवीं अनुसूची में बदलाव करने का केन्द्र से आग्रह करेगा।

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