आज देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की हुयी शुरुआत जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
हिंदू धर्म में आज का दिन बेहद खास है क्योंकि आज से सारे मांगलिक कार्य शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि प्रारंभ हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं और सारे मांगलिक और शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं ।
न्यूज जंगल लाइफस्टाइल डेस्क : हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है और मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से उठकर धरती का कार्यभार अपने हाथों में लेते हैं और देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है और इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और देवउठनी एकादशी के दिन लोग अपने घरों में माता तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह कराते हैं और देवउठनी एकादशी से ही हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य की शुरू होते हैं । आइए जानते हैं भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से देवउठनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताते हैं ।
देवउठनी एकादशी का मुहूर्त
इस वर्ष देवउठनी एकादशी चार नवंबर 2022 दिन शुक्रवार को पड़ रही है और लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार इसका आरंभ 3 नवंबर 2022 दिन गुरुवार को शाम के 7:30 से हो चुका है. और वहीं इसका समापन अगले दिन 4 नवंबर को शाम 6:08 पर होगा और हिंदू पंचांग के अनुसार देखा जाए तो एकादशी का व्रत 4 नवंबर को ही रखा जा सकता है. इसके अलावा व्रत पारण का समय 5 नवंबर सुबह 8:52 पर ही होगा ।
जाने देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी से हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है और देवउठनी एकादशी के दिन दान पुण्य करना शुभ माना जाता है और इस दिन लोग अपने घरों में भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और माता तुलसी का विवाह कराते हैं और देवउठनी एकादशी से ही सभी देवी-देवताओं की पूजा भी शुरू हो जाती है ।
मांगलिक कार्यों का आरंभ
इसके अलावा एकादशी के बाद से ही विवाह संबंधित कार्य के अलावा ग्रह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्यों का आरंभ हो जाता है और देवउठनी एकादशी को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना गया है कि क्योंकि इससे चातुर्मास का समापन होता है और हिंदू पुराणों की मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर रखे गए व्रत और भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी की पूजा से दोगुना फल भी प्राप्त होता है ।
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