ब्रिटेन में पैगंबर मोहम्मद की बेटी पर बनी फिल्म का हो रहा  विरोध 

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ब्रिटेन सरकार की ओर से कहा गया कि इमाम कारी आसिम की नौकरी इसलिए खत्म की गई है, क्योंकि उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करने के अभियान को समर्थन दिया है.

न्यूज जंगल कानपुर डेस्क : ब्रिटिश फिल्म ‘द लेडी ऑफ हेवन’ (The Lady Of Heaven को लेकर ब्रिटेन में विवाद गहरा गया है. फिल्म को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. फिल्म पर ईशनिंदा (Blasphemous) का आरोप लगाया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस फिल्म पर रोक लगे. फिल्म का विरोध करने वालों में मक्का मस्जिद के मुखिया इमाम कारी मोहम्मद असीम (Imam Qari Asim) भी शामिल हैं. इन्होंने जब फिल्म को लेकर अपना विरोध जताया तो सरकार ने इनके खिलाफ कार्रवाई की है. सरकार ने इमाम को सलाहकार के पद से बर्खास्त कर दिया है.

लीड्स स्थित मक्का मस्जिद के इमाम कारी आसिम इस्लामोफोबिया पर ब्रिटेन सरकार के स्वतंत्र सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे. फिल्म को लेकर विरोध के बाद उन्हें शनिवार को उनके पद से हटा दिया गया है. इमाम पैगंबर मोहम्मद की बेटी पर बनी फिल्म पर बैन लगाने को लेकर आंदोलन का समर्थन कर रहे थे. जिसके बाद सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की.

फिल्म का विरोध करने पर इमाम पर हुई कार्रवाई

ब्रिटिश फिल्म ‘द लेडी ऑफ हेवन’ का विरोध करने के अभियान में शामिल होने पर ब्रिटेन की सरकार ने इमाम कारी मोहम्मद असीम को उनके पद से हटा दिया है. सरकार की ओर से कहा गया कि उनकी नौकरी इसलिए खत्म की गई है क्योंकि उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करने के अभियान को समर्थन दिया है. ब्रिटिश फिल्म को लेकर जारी अभियान के बीच असीम ने एक बयान में कहा था कि ‘द लेडी ऑफ हेवन’ एक ‘अपमानजनक फिल्म’ है. इस फिल्म से मुस्लिम समुदाय के लोगों को काफी चोट पहुंची है.

फिल्म को लेकर क्या है विवाद? 

दरअसल, ब्रिटिश फिल्म द लेडी ऑफ हेवन (The lady Of Heaven) पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा (Fatimah) की कहानी पर आधारित है. जो सुन्नी मुसलमानों को पसंद नहीं है और इसी को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. फिल्म की आलोचना करने वाले इसे ईशनिंदा बता रहे हैं. फिल्म का विरोध करने वाले लोगों का मानना है कि पैगंबर मोहम्मद और उनके परिवार के किसी मेंबर पर फिल्म बनाना धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस फिल्म के प्रोड्यूसर मौलवी यासर अल-हबीब हैं, जो एक शिया मुसलमान हैं. इन पर आरोप है कि इन्होंने सुन्नी समुदाय के प्रमुख शख्सियतों को बिल्कुल गलत तरीके से चित्रित किया है. यही वजह है कि भारी संख्या में सुन्नी मुसलमान इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं.

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