प्रदूषण पर दिए निर्देशों का पालन नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट बनायेगा स्वतंत्र टास्क फोर्स

0

आज केंद्र सरकार ने लंबा चौड़ा हलफनामा दाखिल किया. इस हलफनामे में दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण नियंत्रण आयोग की तरफ से पिछले 1 साल में राज्यों को भेजे गए दिशानिर्देशों की जानकारी दी गई थी

न्यूज जगंल डेस्क, कानपुर : दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर सिर्फ बातें की जा रही है. केंद्र की तरफ से गठित आयोग सिर्फ कोर्ट के निर्देशों को राज्यों को भेज दे रहा है. लेकिन राज्य उसका पालन नहीं कर रहे हैं. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह सारी प्रक्रिया बेअसर साबित हो रही है. ऐसे में कोर्ट को अपनी तरफ से एक टास्क फोर्स का गठन करना पड़ सकता है जो सभी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करे.

केंद्र ने राज्यों की कमी गिनाई
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार की इस बात के लिए आलोचना की थी कि वह प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद कदम उठाती है. इसके जवाब में आज केंद्र सरकार ने एक लंबा चौड़ा हलफनामा दाखिल किया. इस हलफनामे में दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण नियंत्रण आयोग की तरफ से पिछले 1 साल में राज्यों को भेजे गए दिशानिर्देशों की जानकारी दी गई थी. 

केंद्र के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “यह सभी निर्देश राज्यों के अधिकारियों से चर्चा करने के बाद ही तैयार किए गए. इन्हें अक्टूबर-नवंबर में होने वाले प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था और कई महीनों पहले ही भेज दिया गया था. लेकिन कुछ निर्देशों का बिल्कुल ही पालन नहीं हुआ और कुछ को आधा-अधूरा लागू किया गया.”

कोर्ट ने टास्क फोर्स की बात कही
इस जवाब से असंतुष्ट चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने कहा, “हम नहीं समझ पा रहे कि आयोग आखिर क्या करता है? वह कोर्ट की तरफ से दिए गए निर्देशों को राज्यों को ट्रांसफर कर देता है. इसके बाद उनका पालन हुआ या नहीं, इसकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेता. अगर स्थिति यही रही तो हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन करना पड़ेगा जो यह सुनिश्चित करे कि सभी राज्य निर्देशों का पालन करें.” सॉलिसीटर जनरल ने इसके जवाब में कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि राज्य गंभीर नहीं है. पर उनकी तरफ से कमियां रह जा रही हैं. इसमें दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे सभी राज्य शामिल हैं.”

राज्यों से मांगा जवाब
दिल्ली सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्य सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी देने की कोशिश की. लेकिन जजों ने उन्हें रोकते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि सभी राज्य यह बताएं कि उन्होंने आयोग के निर्देशों का कितना पालन किया है. सभी राज्य केंद्र की तरफ से दाखिल हलफनामे को देखें और एक-एक बिंदु पर जवाब दें. हम गुरुवार 2 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई करेंगे. राज्यों के जवाब को देखने के बाद यह तय किया जाएगा कि आगे किस तरह का आदेश दिए जाने की जरूरत है.”

ये भी पढ़े : अब जियो ने भी बढ़ाए टैरिफ के दाम, 1 दिसंबर से लागू हो जाएगी नई दरें

सेंट्रल विस्टा पर भी उठे सवाल
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता आदित्य दुबे के लिए पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जारी रखे जाने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आवश्यक निर्माण को छोड़कर सभी तरह के निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिय था. छोटे निर्माण प्रदूषण को अधिक नहीं बढ़ाते. केंद्र सरकार से यह पूछा जाना चाहिए कि वह सेंट्रल विस्टा का निर्माण क्यों जारी रखे हुए हैं? मैं वीडियो दिखा सकता हूं कि वहां कितनी धूल उड़ रही है. हम नहीं समझते यह कोई ऐसा अति आवश्यक निर्माण कार्य है, जिसे रोका नहीं जा सकता है.” विकास सिंह की बातों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि वह सॉलिसिटर जनरल से इस पहलू पर भी जवाब मांग रहे हैं. गुरुवार को होने वाली सुनवाई में इस पर भी चर्चा की जाएगी. कोर्ट ने आज सभी राज्यों से यह भी कहा कि वह निर्माण कार्य रोके जाने के चलते प्रभावित हुए मजदूरों को मुआवजा देने को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी भी उसके सामने रखें.

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed