हिन्दी दिवस पर यहां पढ़ें हिंदी का गौरवगान करतीं कविताएं

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आज देशभर में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है. आज आप भी अनोखे अंदाज में इस खास दिन का जन्श मना सकते हैं. हमारे साथ हिंदी भाषा के बारे में लिखी गई केदारनाथ सिंह समेत कई कवियों की कविताओं की चुनिंदा पंक्तियां पढ़ें.

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : हिन्दी  दिवस पिछले 67 सालों से 14 सितंबर के दिन हर साल सेलिब्रेट किया जाता है. इसी दिन हिन्दी भाषा को संवैधानिक रूप से भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला था. दो सौ साल की ब्रिटिश राज की गुलामी से आजाद होने के बाद भारतीयों ने सपना देखा था, कि एक दिन पूरे देश की एक ही भाषा होगी, जिसके जरिए देश के कोने-कोने में वाद-संवाद होगा. संविधान निर्माताओं ने देवनगरी में लिखी हिन्दी भाषा को देश की भाषा के रूप में स्वीकार किया.

हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ चुके राजेन्द्र सिंहा का 50-वां जन्मदिवस 14 सितम्बर 1949 को होता है . जिस दिन हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार किया गया. कहा जाता है कि उन्होंने इसे राष्ट्रभाषा के तौर पर स्थापित करवाने के लिए काका मैथिलीशरण गुप्त, कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास जैसे कई साहित्यकारों को साथ लेकर भरपूर प्रयास किया था.

यह दुखड़ों का जंजाल नहीं,
लाखों मुखड़ों की भाषा है
थी अमर शहीदों की आशा,
अब जिंदों की अभिलाषा है
मेवा है इसकी सेवा में,
नयनों को कभी न झंपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो

दो वर्तमान का सत्य सरल,
सुंदर भविष्य के सपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो

उच्चवर्ग की प्रिय अंग्रेजी
हिंदी जन की बोली है
वर्ग भेद को खत्म करेगी
हिंदी वह हमजोली है,
सागर में मिलती धाराएँ
हिंदी सबकी संगम है
शब्द, नाद, लिपि से भी आगे
एक भरोसा अनुपम है
गंगा कावेरी की धारा
साथ मिलाती हिंदी है

जैसे चींटियाँ लौटती हैं
बिलों में
कठफोड़वा लौटता है
काठ के पास
वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक
लाल आसमान में डैने पसारे हुए
हवाई-अड्डे की ओर
ओ मेरी भाषा
मैं लौटता हूँ तुम में
जब चुप रहते-रहते
अकड़ जाती है मेरी जीभ
दुखने लगती है
मेरी आत्मा।
– केदारनाथ सिंह

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