कृषि कानून वापस लेने पर बोलीं प्रियंका – 700 किसानों की शहीदी पर मांगी माफी पर कैसे करें भरोसा
न्यूज जगंल डेस्क, कानपुर : तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद विपक्ष लगातार अपनी प्रतिक्रिया दे रही है. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने पीएम पर निशाना साधते हुए इस फैसले को चुनाव से प्ररित बताया है. वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र ने आजतक कभी किसानों की सुध नहीं ली लेकिन आज जब चुनाव नजदीक है तो माफी मांगने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले पीएम माफी मांगने आ गए हैं लगता है वो भूल रहे हैं कि पिछले साल भर से प्रदर्शन कर रहे किसानों को किन परिस्थितियों में रहना पड़ा है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को आंदोलनजीवी, आतंकी जैसे नाम से संबोधित किया जाता था. मैं जानना चाहती हूं कि इस फैसले को लेने में इतना समय क्यों लग गया. पीएम ने आजतक तो आंदोलन के स्पोर्ट में कुछ नहीं कहा, एक बार प्रदर्शन स्थल पर नहीं गए तो आज जब 600-700 किसान शहीद हो चुके हैं को माफी मांगने या कानून वापस लेने की बात पर हम कैसे भरोसा करें.
प्रियंका ने कहा कि ये फैसला पूरी तरह चुनाव प्रेरित है. देश की जनता समझ रही है कि चुनाव में पार्टी की खराब परिस्थितियों को देखकर ये फैसला लिया गया है. प्रियंका ने कहा सर्वे से पता चला है कि इस बार चुनाव में जीतना बीजेपी के लिए मुश्किल है. तो अब चुनाव से पहले वो माफी मांगने आ गए हैं.
ट्वीट कर दी थी प्रतिक्रिया
इससे पहले प्रियंका ने ट्वीट करते हुए कहा था, ”600 से अधिक किसानों की शहादत 350 से अधिक दिन का संघर्ष, नरेंद्र मोदी जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी. आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला.”
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तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का एलान
वहीं दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार ने भले ही तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का एलान कर दिया है. लेकिन, मोदी सरकार को लेकर किसानों की नाराजगी कम नहीं हुई है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानून के खिलाफ चली लड़ाई में हुई 700 किसानों की मौत के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि उनकी जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जाती हैं तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगी.