अब कभी भी हो सकेगी बारिश, जानिए क्या है क्लाउड सीडिंग, जिससे IIT कानपुर ने कराई बरसात

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संस्थान द्वारा सफल परीक्षण कर लिया गया है. जिससे अब एक उम्मीद की किरण जागी है कि जब बारिश नहीं हो पाती है या जिन इलाकों में बारिश नहीं होती है. ऐसे में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से वहां पर किसी भी मौसम में किसी भी समय बारिश कराई जा सकेगी.

News Jungal Desk : अब बारिश के लिए बादलों का इंतजार नहीं करना होगा । किसी भी मौसम में किसी भी परिस्थिति में बारिश कराई जा सकेगी और जी हां यह मुमकिन हो पाया है आईआईटी कानपुर के प्रयासों से । आईआईटी कानपुर बीते कई सालों से क्लाउड सीडिंग को लेकर शोध कर रहा था । और कई परीक्षण आईटी कानपुर द्वारा इस क्रम में चल रहे थे । लेकिन अब आईआईटी कानपुर को क्लाउड सीडिंग में सफलता मिली है.

संस्थान द्वारा सफल परीक्षण कर लिया गया है. जिससे अब एक उम्मीद की किरण जगी है कि जब बारिश नहीं हो पाती है या जिन इलाकों में बारिश नहीं होती है । और ऐसे में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से वहां पर किसी भी मौसम में किसी भी समय बारिश कराई जा सकेगी । एयरक्राफ्ट की मदद से आईआईटी कानपुर के ऊपर हवा में केमिकल पाउडर फायर किया गया है । जिसके बाद बारिश देखने को मिली ।

वीडियो भी आईआईटी कानपुर ने साझा किया
परीक्षण नागर विमानन निदेशालय की अनुमति के बाद किया गया था । और इस सफल परीक्षण का वीडियो भी आईआईटी कानपुर ने साझा किया है । और अब कृत्रिम बारिश सपना नहीं रहा बल्कि हकीकत बन गई है । ज्यादा वायु प्रदूषण और सूखे की स्थिति में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराई जा सकेगी . और आईआईटी कानपुर 2017 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है । और आईआईटी कानपुर को कई वर्षों से डीजीसीए से परमिशन ना मिल पाने पर परीक्षण लटका पड़ा था । और अब जब डीजीसीए ने इसके लिए टेस्टफ्लाइट की अनुमति दे दी है । उसके बाद यह सफल परीक्षण पूरा हुआ है ।

क्लाउड सीडिंग का सफल परीक्षण किया गया
आईआईटी कानपुर के प्रोफ़ेसर मनीष अग्रवाल ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग का सफल परीक्षण किया है. जिसको लेकर संस्थान में खुशी का माहौल है. यह एक अपने आप में बहुत बड़ा शोध है. जो देश के बेहद काम आएगा. आईआईटी कानपुर की हवाई पट्टी से एयरक्राफ्ट ने 5000 फुट की ऊंचाई पर घने बादलों के बीच दानेदार केमिकल पाउडर फायर किया. यह सब कुछ आईआईटी कानपुर के ऊपर ही किया गया था. इसके बाद बारिश हुई ।

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