प्राकृतिक खेती से भूमि ही नहीं बल्कि इंसान का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है

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न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : प्राकृतिक खेती से भूमि ही नहीं बल्कि इंसान का स्वास्थ्य भी बेहतर होता। अगर खेती से जमीन और मिट्टी को उपजाऊ बनाना है तो किसानों को प्राकृतिक खेती करनी ही होगी। शुक्रवार को सीएसए के प्रसार निदेशालय में प्राकृतिक खेती से लाभ विषय पर आयोजित वर्कशॉप में डॉ एके सिंह ने कहा कि रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। प्राकृतिक खेती करने पर शुरुआती दो सालों में तो उत्पादन कम मिलेगा लेकिन धीरे धीरे उत्पादन बढ़ना तय है साथ ही इससे मिट्टी की क्वालिटी में भी बदलाव आता है।

इन उत्पादों से बढ़ती है पैदावार
डॉ. सिंह ने कहा कि एक गाय से दो एकड़ में खेती की जा सकती है। इसमे गाय के गोबर और मूत्र से घनामृत, बीजा मृत, जीवामृत और गोबर खाद से खेती की जाती है। इन उत्पादों के प्रयोग से जमीन में जीवाणुओं की वृद्धि होती है जो कि पैदावार बढ़ाने में मददगार हैं। यह एक प्रकार की जीरो बजट खेती है। इससे सीएसए से संबद्ध 15 केवीके के वैज्ञानिक शामिल हुए। इस मौक पर डॉ. डीपी सिंह और डॉ. पीके राठी आदि मौजूद रही।

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