मिशन 2022-सपा और आप में बात नहीं बनीं, भाजपा का यही फीलगुड

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विशेष प्रतिनिधि

स्टेट डेस्क समाजवादी पार्टी यानी ‘सपा’ और आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ के बीच चुनावी गठजोड़ की संभावनाएं लगभग समाप्त हो गयी हैं। विपक्षी एकता के लिए यह खबर अच्छी नहीं है पर भाजपा को फीलगुड करा रही है। यदि यह गठजोड़ होता तो दिल्ली से सटे यूपी की विधानसभा सीटों पर विजय भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती थी। ‘आप’ ने राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को बातचीत के लिए आगे किया था। अखिलेश और संजय के बीच 24 नवंबर की बैठक के बाद गठजोड़ की अटकलों को बल मिला था। बताते हैं कि अखिलेश सिंह यादव और संजय सिंह की दो मुलाकातें हुईं पर बात नहीं बनी। संजय ने खुद कहा है कि गठबंधन का आइडिया काम नहीं कर रहा है। इसलिए ‘आप’ राज्य की 403 सीटों पर लड़ने पर विचार कर रही है। सपा नेताओं ने भी माना कि गठजोड़ पर कोई फैसला नहीं हो सका। यूपी में फिलहाल सपा की 56 सीटें हैं। जबकि ‘आप’ की शुरुआत होगी।


हालांकि दोनों ही दल के लोग गठबंधन की संभावना से इंकार नहीं करते हैं पर पर हालात गठबंधन लायक फिलहाल नहीं बन पा रहे हैं। यह खबर भाजपा के लिए उत्साहजनक कही जा सकती है। उसकी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। सपाई सूत्र कहते हैं कि इस गठबंधन से सपा को कोई लाभ नहीं दिख रहा है। शायद यही हो सकती है। यूपी में ‘आप’ का जनाधार नहीं है। ‘आप’ वाले कहते हैं कि उनकी पार्टी के एजेंडे में सुशासन, कल्याण, भ्रष्टाचार विरोध है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम (मिनिमम कॉमन प्रोग्राम) पर बात बनने की संभावनाएं कम हैं। हमारी सोच अलग है। ‘आप’ के आधार वाली सीटों पर सपा के पास मजबूत प्रत्याशी हैं। फिर दिल्ली से सटे इलाकों में आरएलडी का आधार है। ऐसे में सपा कैसे ‘आप’ से गठजोड़ कर सकती है। दोनों पार्टियों के नेताओं ने बताया कि आप और सपा मूल एजेंडों के संदर्भ में भी गठबंधने करने पर विफल रहीं। सपा जाति समीकरण और जनसांख्यिकीय गणना को लेकर केंद्रित है तो वहीं ‘आप’ सुशासन और कल्याण के मुद्दों के साथ चुनावों की तरफ बढ़ रही है। यह पार्टी दिल्ली मॉडल ऊपर रखकर सोच रही है।


‘आप’ के नेता कहते हैं कि उनके घोषणा पत्र में 300 यूनिट मुफ्त बिजली, बिल माफी, किसानों केलिए फ्री बिजली, मॉडल स्कूल, ज्यादा नौकरियां और इसके अलावा बेरोजगार युवाओं को हर महीने पांच हजार रुपया देना है। दूसरी तरफ सपा के बड़े नेता ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके और साल 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधने करने के बाद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद अब समाजवादी पार्टी क्षेत्र विशेष में जनाधार को लेकर सिर्फ छोटी पार्टी के साथ गठबंधन करने पर ध्यान दे रही है।

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विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सपा ने अब तक जिन सभी छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है, उनकी विशिष्ट समूहों के बीच पकड़ है। जैसे पश्चिम यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों राष्ट्रीय लोकदल का आधार है। किसान आंदोलन प्रभावित इस क्षेत्र में सपा और रालोद का एक ही स्टैंड रहा है। सपा ने रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के बाबा चौधरी चरण सिंह की स्मृति को हमेशा जीवित रखा। वहां के किसान मुलायम सिंह का सम्मान करते हैं। वोट के लिहाज से यह गठजोड़ भाजपा का मुकाबला करने को लेकर मुफीद है। सपा की दूसरी सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जिसके पास कई पिछले समुदायों का समर्थन है जैसे राजभर, चौहान, पाल, विश्वकर्मा, प्रजापति, बारी, बंजारा और कश्यप आदि। पूर्वांचल की राजनीति में ये पार्टियां प्रभावी हैं। सपा की अन्य सहयोगी पार्टी महान दल के पास यूपी के पश्चिमी जिलों में शाक्य, सैनी, मौर्य और कुशवाहा जैसे समुदायों की पकड़ है जबकि जनवादी पार्टी (समाजवादी) का नोनिया समुदाय के बीच एक आधार है। कुल मिलाकर सपा फूंक-फूंककर कदम रख रही है।

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