Longewala Battle : 120 जवानों ने छुड़ा दिए थे पाकिस्तान के छक्के, जानिये इस हीरो की कहानी

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1971 में पूर्वी पाकिस्तान यानी अभी बांग्लादेश पश्चिमी पाकिस्तान से अलग हो रहा था. ये बात पाकिस्तान के राष्ट्रपति याहया खान को राश नहीं आयी . भारत की सरकार और उसकी सेना पूर्वी पाकिस्तान की मदद कर रही थी. तब पाकिस्तानी सरकार ने राजस्थान के थार रेगिस्तान में मौजूद लोंगेवाला पोस्ट के रास्ते देश के पश्चिमी हिस्से पर कब्जा जमाने की सोच लिया ।

News Jungal Election Desk : पाकिस्तान ने 3000 सैनिक, 40-45 टैंक, एक फील्ड रेजिमेंट और दो आर्टिलरी बैटरी लोंगेवाला की तरफ बढ़ने लगे . इधर, लोंगेवाला पोस्ट पर 12वीं इंफ्रेंट्री डिविजन की 23 पंजाब कंपनी-A के मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी अपने 120 जवानों, 2 मीडियम मशीन गन, 81 मिमी के दो मार्टार, 4 रॉकेट लॉन्चर्स, 2 आरसीएल गन के साथ तैनात थे ।

4 दिसंबर 1971 धरमवीर भान की प्लाटून को सीमा की तरफ से जोर शोर सुनाई दिया. काफी तेजी से बख्तरबंद गाड़ियां आती हुई दिख रही थीं. इस दौरान आर्मी एयर ऑब्जरवेशन पोस्ट एयरक्राफ्ट में मेजर आत्मा सिंह ने 20 किलोमीटर के इलाके में एक उड़ान भरी. देखा कि भारी मात्रा में पाकिस्तानी सैनिक लोंगेवाला की तरफ आ रहे हैं ।

धरमवीर भान ने मेजर चांदपुरी को बताया. चांदपुरी ने मुख्यालय सूचना दी. हेडक्वार्टर ने कहा खुद ही लड़ाई करनी होगी. सुबह होने पर वायुसेना मदद के लिए आएगी तब तक और बैकअप भी भेजा जाएगा. इधर रात 12.30 बजे पाकिस्तान ने आर्टिलरी से गोले दागने शुरू कर दिए. आगे की तरफ 45 टैंक्स आ रहे थे. जल्दबाजी में भारतीय जवानों ने बारूदी सुरंगें लगाईं. समय कम होने की हड़बड़ी में एक जवान बारूदी सुरंग की चपेट में आ गया. और शहीद हो गया.

इन सुरंगों से पाकिस्तान के दो टैंक और जीप पर सवार 106 मिमी के RCL राइफल बर्बाद हो गए. एक पाकिस्तानी सैनिक मारा गया. कई घायल हो गए. इसके बाद चांदपुरी ने PIATs से टैंकों पर निशाना साधना शुरू किया. इसे कंधे पर रखकर चलाया जाता है. इनकी बदौलत चांदपुरी और उनके जवानों ने कई टैंक और जवानों को मार गया ।

चांदपुरी के जवानों ने कम समय में ही बेहतर पोजिशन ले ली थी. इसलिए पाकिस्तानी सैनिक समझ नहीं पा रहे थे कि इतने खुले इलाके में भी चारों तरफ से गोलियां कैसे बरस रही हैं. हर तरफ से मोर्टार के हमले हो रहे थे. बीच-बीच में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी बटालियन हेटक्वार्टर को वायरलेस पर सूचना देते रहते थे.रातभर घमासान फायरिंग होती रही. छोटे हथियारों के बल पर 120 भारतीय जवानों ने पाकिस्तानियों को धूल चटा रखी थी ।

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