‘ ‘वृंदा’ बनीं दुल्हनिया, दूल्हा ‘बांके बिहारी’
Report : Rohit Nigam
- सांवरी सूरत, तिरछे नैन। ज्यों-ज्यों देखे, लूटे चैन। बारातें तो आपने खूब की होंगी। बैंड-बाजे पर जमकर ठुमके भी लगाए होंगे।
लेकिन, जब दूल्हा बांके बिहारी और उनकी दुल्हन वृंदा यानी तुलसी देवी हों, तो क्या कहना।
अनन्त जन्मों का कुछ ऐसा ही अनूठा बन्धन किदवई नगर नागरिक धर्मशाला में देखने को मिला।
Kanpur : आइए, अब आपको इस खास शादी के बारे में बताते हैं।
परमट के एक मंदिर में विराजमान ‘श्री बांके बिहारी’ का रिश्ता जुही लाल कालोनी में रहने वाले एक वैष्णव परिवार में विराजमान तुलसी देवी से तय हुआ।
सारी रस्में ठीक उसी तरह से होती हैं , जैसे समाज में आम तौर पर एक लड़का और एक लड़की की शादी में होता है।
पहले वर पक्ष जुही जाकर श्री बांके बिहारी का तुलसी देवी के साथ रिश्ता तय करता है।
इसके बाद फ़रवरी महीने में भगवान के विग्रह का जनेऊ और तिलकोत्सव संस्कार सम्पन्न किया जाता है।
इसके बाद आती है, बैंड-बाजा और बारात की बारी।
दूल्हे के घर वाले सज-धज कर श्री बांके बिहारी लाल की बारात लेकर निकल पड़ते हैं। ढोल की थाप पर हर कोई नाचने को मजबूर हो जाता है। गली-मोहल्ले में जहां-जहां से बारात गुजरी, लोग खुद-ब-खुद बारात में शामिल होते गए। कोई सांवरे दूल्हे की नजर उतारता दिखा तो कोई न्यौछावर कर रहा था।
बारातियों में महिलाओं की तादाद खूब रही। बच्चे-बूढ़े हर किसी ने भगवान के भजन पर डांस किया।
खूब धूमधाम के साथ नाचते-गाते बारात वधू पक्ष के दरवाजे पहुंचती है तो दूल्हे को निहारने के लिए भीड़ लग गई। जमकर सेल्फी चली।
पूरे विधि-विधान के साथ भगवान का विवाह तुलसी देवी के साथ संपन्न हुआ और फिर विदा होकर दुल्हन परमट आ गईं।
किस्मत वाले इस अनोखे विवाह के साक्षी बने। फिलहाल, यह शादी सोशल मीडिया पर भी जमकर ट्रेंड हो रही है।