इन दो भाेग के बगैर अधूरी है कान्हा के प्रसाद की थाली 

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 घर घर में आज जन्मेंगे देवकी नंदन। प्रसाद बनाने की तैयारी में जुटी महिलाएं। कान्हा के भाेग में धनिया पंजीरी और पंचामृत का होता है विशेष महत्व। सूखे मेवे और दूध दही शहद के कारण दोनों ही प्रसाद होते हैं अमृत के समान।

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : यूं तो माधव भक्त की भक्ति से ही तृप्त हो जाते हैं। लेकिन जब बात कृष्ण जन्माष्टमी की हो तो घर घर में विशेष पकवान बनाकर लड्डू गोपाल को भाेग लगाया जाता हैं। ब्रज में भाव की भक्ति होती है। यहां भगवान को अपने लल्ला के रूप में पूजा जाता है। इसी के चलते जन्माष्टमी के पकवानों में विशेष रूप से ऐसे भाेग रखे जाते हैं जोकि स्वाद के साथ पौष्टिक भी हो। मान्यता है कि भगवान को चाहे 56 भाेग का प्रसाद लगा दें लेकिन धनिया पंजीरी और पंचामृत के बगैर भाेग की थाली अधूरी ही रहती है।भगवान कृष्ण को आज के नये वस्त पहनाकर झूला में झुलाया जाता है । गोकुल और मथुरा में बड़ी धूमधाम से भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है ।

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