भारत का राष्ट्रवाद किसी धर्म पर नहीं भारतीय संविधान पर आधारित है, बोले शशि थरूर

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  कानपुर न्यूज जंगल डेस्क : कांग्रेस सांसद शशि थरूर से पूछा गया कि जब हम बात स्वतंत्रता, संस्थागत आजादी और भारत के विचार की बात करते हैं तो इनको एक साथ आप कैसे देखते हैं? इस पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ये भारत के मन की बात है. हमारी आजादी का  संग्राम विचारधारा, कम्युनिस्ट बनाम कैपिटलिस्ट या फिर ज्योग्राफी पर निर्भर नहीं था. यह एक मूलभूत सिद्धांत पर निर्भर था कि क्या धर्म आपकी राष्ट्रीयता पर निर्धारित किया जा सकता है? जो ये समझते थे कि उनकी पहचान उनके धर्म से है, वो पाकिस्तान चले गए. ये पाकिस्तान का आइडिया था.  जो ये समझते थे कि हम एक विविधता भरे बहुलवादी समाज का हिस्सा बनेंगे, उन्होंने भारत का निर्माण किया. 

उन्होंने आगे कहा, मैं मानता हूं कि मौलिक विभाजन पहचान आधारित राष्ट्रवाद, जो पाकिस्तान है, उसका इस्लाम में यकीन है और भारत में यह संविधान और संस्थागत पर आधारित है. यह हमारा राष्ट्रवाद है. जब हम कानून की बात करते हैं तो यह हमारे राष्ट्रवाद का आधार है. 

थरूर ने आगे कहा, संविधान सभा में भी इस बात पर बहस चली थी कि क्या समूहों को सशक्त करना चाहिए जैसे अंग्रेजों ने मुस्लिमों, हिंदुओं के एक खास वर्ग के साथ किया. या फिर हर एक भारतीय को सशक्त करना चाहिए. हमारे देश में हर इंसान के लिए समान मौके हैं. वह देश में कहीं भी किसी भी पोजिशन पर पहुंच सकते हैं. इसी के साथ स्वतंत्रता की धारणा भी बनी. हर कोई राजनीति पर बात कर सकता है और संविधान के जरिए कानून यह गारंटी देता है कि हर किसी को सहमत और असहमत होने का अधिकार है. किसी सरकार को वोट या फिर उसके खिलाफ वोट देने का अधिकार है. सरकार की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने का अधिकार है और समर्थन करने का भी. हर किसी के पास समान अधिकार हैं. हमारा संविधान बताता है कि भारत क्या है. 

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