भारत को इजरायल से मिला ‘टैंक किलर’, अब चीन की खैर नहीं

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चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में बढ़ी तनातनी के बीच इजरायल ने भारत को कई तरह के आधुनिक हथियार दिए हैं। वह हेरॉन ड्रोन हो या मिसाइलें भारतीय सेना की ताकत बढ़ गई है। अब सेना को इजरायल ने एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें दी हैं जो बड़ी से बड़ी बख्तरबंद गाड़ियों को तबाह करने की क्षमता रखती हैं।

 न्यूज जंगल नेटवर्क, कानपुर : ऐसे समय में जब चीन की हरकतें उसकी मंशा पर संदेह पैदा करती हैं, भारत ने अपनी तैयारी मजबूत कर ली है। इमर्जेंसी ऑर्डर पर इजरायल ने भारत को ‘टैंक किलर’ दे दिया है। जी हां, भारतीय सेना और एयरफोर्स ने इजरायल से मिली अत्याधुनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) को शामिल कर लिया है। इजरायल के इस खतरनाक हथियार को टैंकों का काल यानी ‘टैंक किलर’ कहा जाता है। ये लंबी दूरी तक मार करती हैं और पावरफुल इतनी होती हैं कि बख्तरबंद गाड़ियां पलभर में ही तबाह हो जाएं। भारतीय फौज को यह पावर ऐसे समय में मिली है जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पिछले दो वर्षों से तनाव बना हुआ है और दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं। ऐसे में इस किलर मिसाइल के आने से चीन के खिलाफ भारत की तैयारियां और भी पुख्ता हो गई हैं।

दरअसल, भारत चीन को लेकर तैयारियों में कोई कमी नहीं रखना चाहता। रूस ने जब यूक्रेन पर हमले शुरू किए और दुनिया दो ध्रुवों में बंटती दिखी तो कुछ देशों ने चीन और भारत के तनाव का भी जिक्र किया। विदेश और सामरिक मामलों के विशेषज्ञ इस बात को लेकर आशंकित दिखे कि जैसा रूस ने किया, वैसा चीन भी भविष्य में कर सकता है। ऐसे में भारत को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।

“इमर्जेंसी खरीद के तहत पांचवीं जेनरेशन की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को सीमित संख्या में शामिल किया जा रहा है। ATGM की ज्यादा जरूरतों को ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के माध्यम से पूरा किया जाएगा” – रक्षा सूत्र

चीन की हरकत पर इमर्जेंसी ऑर्डर
चीन के साथ सैन्य टकराव को देखते हुए पिछले साल इमर्जेंसी खरीद के तहत इन इजरायली ‘टैंक किलर्स’ का ऑर्डर दिया गया था। अब तक पूर्वी लद्दाख में किसी तरह से तनाव घटने के संकेत नहीं है। चीन अपनी कुछ शर्तों पर अब भी अड़ा हुआ है। खास बात यह है कि जंग का मैदान बने यूक्रेन में इन हथियारों की ताकत दुनिया देख रही है।

यूक्रेन में इन मिसाइलों की दिखी पावर
24 फरवरी से शुरू हुए संघर्ष में यूक्रेनी सेना की ओर से अमेरिका की जेवलिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Javelin ATGM) और पश्चिम की नेक्स्ट जेनरेशन लाइट एंटी-टैंक मिसाइलें ( NLAW) दागी जा रही हैं। इसने सैकड़ों रूसी टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को मलबे में तब्दील कर दिया है। इजरायल की स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें भी उतनी ही घातक और अनेक क्षमताओं से लैस हैं। सेना स्पाइक LR-2 लांचर्स और मिसाइलों को शामिल कर रही है, जो जमीन पर 5.5 किमी तक टारगेट को निशाना बना सकती हैं। उधर, भारतीय वायुसेना रूसी मूल के अपने एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टरों को स्पाइक NLOS मिसाइलों से लैस कर रही है जो 30 किमी दूर तक दुश्मन के ग्राउंड टारगेट को तबाह करने की ताकत रखती है।

पहाड़ी क्षेत्र में एयरफोर्स की विशेष तैयारी
एक टॉप डिफेंस सोर्स ने बताया है कि इमर्जेंसी खरीद के तहत दोनों पांचवीं जेनरेशन की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को सीमित संख्या में शामिल किया जा रहा है। ATGM की ज्यादा जरूरतों को ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के माध्यम से पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पायलट के कंट्रोल वाली NLOS मिसाइलों को विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्र में IAF हेलिकॉप्टरों के इस्तेमाल के लिए शामिल किया गया है। खास बात यह है कि विभिन्न प्रकार के वॉरहेड के साथ ये घातक बन जाती हैं।

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एयरफोर्स के पास अपाचे का पराक्रम
IAF के पास 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर हैं जिन्हें एयर-टू-एयर स्टिंगर मिसाइलों, हेलफायर लॉन्गबो आसमान से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों, गन और रॉकेट के साथ जंग के मैदान में उतरने की पूरी तैयारी के हिसाब से शामिल किया गया है। इसके लिए सितंबर 2015 में अमेरिका के साथ 13,952 करोड़ की डील हुई थी। फरवरी 2020 में 5691 करोड़ की डील के तहत सेना को 6 अपाचे मिल रहे हैं।

स्पाइक LR-2 मिसाइलें HEAT (हाई एक्सप्लोजिव एंटी-टैंक) वॉरहेड के साथ या छोटे मल्टी-पर्पज वॉरहेड के साथ दागी जा सकती हैं। इनकी बख्तरबंद गाड़ियों को तबाह करने की क्षमता 30 फीसदी ज्यादा होती है।

स्पाइक मिसाइलें पहले से ही सेना में
सेना इजरायल की एंटी टैंक स्पाइक मिसाइलों को पहले ही शामिल कर चुकी है। इस मिसाइल के जरिए दुश्‍मन के टैंकों और बंकर को पलक झपकते ही नष्‍ट किया जा सकता है। ‘स्पाइक’ चौथी पीढ़ी की मिसाइल है जो 4 किमी की दूरी तक किसी भी लक्ष्य को भेद सकती है। इससे आतंकी ठिकानों को भी तबाह किया जा सकता है। DRDO भी मैन-पोर्टेबल ATGM बना रहा है। कंधे, गाड़ी और हेलिकॉप्टर से दागी जा सकने वाली विभिन्न प्रकार की ATGM को शामिल कर सेना अपनी ताकत को बढ़ा रही है। सेना का पूरा जोर अत्याधुनिक नई जेनरेशन की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों पर है। चीन के साथ लगती सीमा पर इसे काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है

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