जिला जेल में आयोजित हुआ हार्टफुलनेस ध्यान और योग का उत्सव, उत्साह से बंदियों ने लिया भाग

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Heartfulness Meditation & Yoga: बंदियों ने तीन दिन किया योग-ध्यान, बोले-आनंद ही आनंद जिला जेल में श्री रामचंद्र मिशन, हार्टफुलनेस संस्थान का तीन दिवसीय शिविर आयोजित जेल अधीक्षक ने बंदियों को शिविर में सिखाये गए ध्यान योग को जारी रखने की प्रेरणा दी

News Jungal Desk:कानपुर जेल में हार्टफुलनेस ध्यान और योग शिविर का आयोजन हुआ. शिविर के पहले दिन बंदियों ने योग और शरीर के विभिन्न अंगों के शिथिलीकरण के साथ ध्यान किया. दूसरे दिन परेशान करने वाले विचारों या किसी घटना के कारण ह्रदय (heart) पर बने छापों को हटाने के लिए सफाई की प्रक्रिया की जानकारी दी गई। अनुभव भी कराया गया. बंदियों ने भी खुद को तनाव मुक्त महसूस किया ।

तीसरे दिन डा. शाहजी अरोड़ा ने बंदियों को दांतों की देखभाल के टिप्स दिए। संस्था की समन्वयक शालिनी श्रीवास्तव ने ब्रेन जिम एक्सरसाइज का अभ्यास कराया। इसके बाद हार्टफुलनेस प्रार्थना के महत्व के बारे बताया गया। ध्यान भी कराया गया.
जिला कारागार, कानपुर के पदाधिकारी, कर्मचारी हार्टफुलनेस संस्था के वीएन निगम, सुरेंद्र सिंह, एसपी सिंह, अजीत पांडिया,
एससी पाठक, संजय श्रीवास्तव, संजीव सचान (Sanjeev Sachan) और योगाचार्य अरविन्द सचान (Arvind Sachan) उपस्थित रहे।

कानपुर जेल अधीक्षक डॉ.बीडी पांडेय (Dr.BD Pandey) ने कहा कि योग और ध्यान के प्रमाण सिंधु सभ्यता में भी मिलते हैं. हमारी परंपरा की इस प्राचीनतम विद्या की उपयोगिता आज और अधिक बढ़ गई है । कारागार में इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने सभी बंदियों को निरंतर आसन , प्रणायाम और ध्यान करने को प्रेरित किया। बंदियों ने शिविर को आगे भी जारी रखने की इच्छा जताई ।

शिविर के समापन अवसर पर जेल अधीक्षक डॉ.बीडी पांडेय (Dr.BD Pandey) ने बंदियों के समक्ष अपने विचार रखे. उन्होंने कहा-“हम जीवन पर्यन्त सीखते हैं. विकास की प्रक्रिया वहीं से रुक जाती है, जब यह मान बैठते हैं कि हमें सब आता है., सीखने के लिए पहले खुद को सुनने के लिए तैयार करना पड़ता है. इसके बाद के दो चरण हैं ध्यान से सुनना और अभ्यास में लाना. आखरी चरण हैं खुद को व्यक्त करना. इस तीन दिवसीय योग शिविर में श्री रामचंद्र मिशन (Sri Ramchandra Mission), हार्टफुलनेस संस्थान के अनुभवी प्रशिक्षकों ने स्वस्थ रहने के लिए जो भी सिखाया, उसका नित्य अभ्यास करना है। तभी, इसका लाभ मिल पाएगा.”

सिंधु सभ्यता में भी मिलते हैं
योग और ध्यान के प्रमाण : जेल अधीक्षक

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