चीन द्वारा हथियाई गई भारत की भूमि मुक्त करवाई जाये: बीटीएसएस

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बीटीएसएस की तीन दिवसीय राष्ट्रीय बैठक का दूसरा दिन संपन्न

पांच महत्वपूर्ण प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किये गए

कल आखिरी दिन नियुक्तियों सहित महत्वपूर्ण आर्थिक प्रस्ताव होंगे पारित

न्यूज़ जंगल डेस्क, कानपुर : 5 दिसम्बर, अपने भारत की संसद ने अब तक के सबसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों में एक प्रस्ताव 14 नवंबर, 1962 पारित किया था । साम्राज्यवादी चीन ने तिब्बत को निगलने के बाद 1962 में भारत पर हमला कर कई हजार वर्ग मील जमीन पर कब्जा जमा लिया । भारतीय संसद ने 14 नवंबर 1962 को सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव पारित कर कहा था कि भारत की संसद प्रतिज्ञा करती है कि जब तक चीन से एक – एक इंच जमीन वापस नहीं ले लेते तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इस संकल्प को प्रस्ताव कराने के पीछे का उद्देश्य चीन के कब्जे में मातृभूमि के उस हिस्से को पुनः प्राप्त करना तथा चीन ने भारत के साथ किस तरह विश्वासघात किया था उसे आने वाली पीढी व शासकों को यह याद दिलाना था। लेकिन तब से लेकर अब तक अपने इस संकल्प को संसद भूली बैठी रही। बीटीएसएस अब इसे याद दिलाने निकलेगा।

भारत तिब्बत समन्वय संघ के युवा विभाग के राष्ट्रीय सह मंत्री तेजस चतुर्वेदी ने बताया की ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से चल रही राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में आज पारित किये गए पहले प्रस्ताव के क्रम में इस संकल्प को फिर से दोहराया गया और दृढ़संकल्प के साथ इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु कार्य करने बात की गई। भारत तिब्बत समन्वय संघ की बैठक दौरान संघ के जयपुर प्रांत के मुख्य प्रांत सह संयोजक चंपालाल रामावत ने यह प्रस्ताव रखा और काशी प्रान्त के विवेक सोनी ने इसका अनुमोदन किया। उसके बाद अनेक प्रतिभागियों ने अपने सुझाव में कहा कि देश भर में फैले संघ के कार्यकर्ता इसके लिए अपने स्थानीय सांसदों व विधायकों से संपर्क साधेंगे और सरकार पर जन व सामाजिक दबाव डाल कर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की मांग करेंगे।

संघ के दूसरे दिन आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कार्यक्रम की शुरुआत संघ के गीत, सरस्वती वंदना और परम् पावन दलाई लामा की तिब्बती प्रार्थना से हुआ। संघ के पटल पर रखे गए दूसरे प्रस्ताव में यह कहा गया कि देश उन महापुरुषों का सम्मान करने में अग्रणी है जिन्होंने इस राष्ट्र की रक्षा, मानवता की प्रगति व साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान किया हो। वर्ष 2011 से “मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में किए गए योगदान” को शामिल किए जाने के बाद भारत रत्न जैसा पुरस्कार आज एक नए क्षितिज के साथ समक्ष है। इस क्रम में, भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक व राष्ट्रीय सुदृढ़ता की योजना और क्रियान्वयन के लिए राष्ट्र की अंतर-चेतना को जगाने का अतुलनीय भागीरथ योगदान करने वाले प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक रहे और इस भारत तिब्बत समन्वय संघ के आद्य प्रणेता हैं। उनको एवं विश्व शांति, धैर्य व करुणा के प्रतिमान परम पावन दलाई लामा जी को भी भारत रत्न प्रदान किया जाए। संघ की राष्ट्रीय महामन्त्री, महिला विभाग, राजो मालवीय ने यह प्रस्ताव रखा।

पटल पर रखे गए तीसरे प्रस्ताव के दौरान भारत तिब्बत समन्वय संघ के मेरठ प्रान्त की प्रान्त कार्यकारिणी यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि तिब्बती परिक्षेत्र की प्राकृतिक संपदा और जल संसाधन के संरक्षण व मानव कल्याण के लिए इस क्षेत्र को ” विश्व प्राकृतिक संपदा संरक्षित क्षेत्र ” घोषित किया जाए। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति सदस्य और प्रख्यात कथावाचक अरविन्द भाई ओझा द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया। वही हरियाणा प्रांत के महामन्त्री फकीर चंद चौहान द्वारा यह चौथा प्रस्ताव रखा गया कि भारत सरकार कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए जाने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में वृद्धि कराए जाने का प्रयास किया जाए तथा देश में कुछ राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य से इस यात्रा में शामिल हुए तीर्थयात्रियों को उनके खर्चे की भरपाई अलग-अलग अंशदान के रूप में करती हैं। इसके लिए भारत सरकार यह प्रयास करें कि या तो वह सभी राज्य सरकारों को निर्देशित करें कि प्रत्येक राज्य सरकार एक समान रूप से तीर्थयात्रियों के व्यय की प्रतिपूर्ति करें या फिर स्वयं भारत सरकार अपने स्तर से पूरी प्रतिपूर्ति की जाये। इसके बाद संघ की बृज प्रांत की माला गुप्ता द्वारा तिब्बत में महिलाओ पर हो रहे घृणित अत्याचारों तथा अमानवीय यातनाओं की भर्त्सना करते हुए करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में इसकी रोकथाम के लिए अंतरार्ष्ट्रीय समिति का गठन किये जाने का पांचवा महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा गया।

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कार्यक्रम में के अंत में केंद्रीय परामर्शदात्री समिति सदस्य और दून विश्विद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पूरी दुनिया के समक्ष चीन की विस्तारवादी नीतियों से उत्पन्न खतरे और कोरोना जैसी महामारी को फैलाने में चीन के षड्यंत्र को उजागर किया। राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान प्रस्ताव प्रकिया को निर्देशित किया वहीं कानपुर प्रान्त की शालिनी जैन कपूर ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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