विशेषज्ञो के अनुसार श्रद्धा हत्याकांड में फॉरेंसिक टेस्ट महत्वपूर्ण

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श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. वहीं इस मामले में अब तक पुलिस को ठोस सबूत की तलाश है. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में फॉरेंसिक जांच बहुत ही अहम है।

न्यूज जगंल क्राइम डेस्क – विशेषज्ञों का कहना है कि, महरौली हत्याकांड की जांच में परिस्थितिजन्य साक्ष्य और फॉरेंसिक जांच काफी महत्वपूर्ण है. इस मामले में आफताब अमीन पूनावाला की गिरफ्तारी के एक सप्ताह बाद, पुलिस श्रद्धा वालकर की हत्या के लिए अदालत में उसे पेश करने के वास्ते सबूतों की तलाश कर रही है, लेकिन यह एक चुनौतीपूर्ण काम बना हुआ है क्योंकि लगभग छह महीने बाद इस अपराध का पता चला था. यहां के विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य और फोरेंसिक जांच महत्वपूर्ण होती है.

18 मई को हुई थी श्रद्धा की हत्या
पुलिस के अनुसार पूनावाला ने अपनी ‘लिव-इन पार्टनर’ श्रद्धा वालकर (27) की गत 18 मई की शाम को कथित तौर पर गला घोंट कर हत्या कर दी थी और उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए. आरोपी ने शव के टुकड़ों को दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक एक बड़े फ्रिज में रखा तथा बाद में उन्हें कई दिनों तक विभिन्न हिस्सों में फेंकता रहा.

यह मामला बहुत कठिन होगाः अधिकारी
दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा कि हत्या का यह छह महीनों पुराना मामला है और अपराध स्थल को साफ कर दिया गया है तथा पुलिस पूरी तरह से आरोपी के कबूलनामे पर निर्भर है, जो एक ‘चालाक’ व्यक्ति प्रतीत होता है. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह बहुत ही कठिन मामला होने जा रहा है और इस मामले में आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी संस्थानों की मदद की आवश्यकता होगी. पुलिस जो कर सकती है वह करेगी, लेकिन अदालत को भी स्थिति को समझना होगा और उसके अनुसार कार्य करना होगा.’

पुलिस ने कंकाल के अवशेष किऐ बरामद
पुलिस अब तक शव के 13 टुकड़े बरामद कर चुकी है, जिनमें ज्यादातर कंकाल के अवशेष हैं. हालांकि महरौली और दिल्ली के अन्य हिस्सों और गुरुग्राम के जंगलों में तलाशी अभियान जारी है. श्रीवास्तव ने कहा कि चूंकि पूनावाला ने हत्या, शव को ठिकाने लगाने और सबूतों को नष्ट करने पर काफी शोध किया है, इसलिए संभव है कि उसने पुलिस को ‘मूर्ख’ बनाने के तरीके पर भी शोध किया हो. दिल्ली की एक अदालत ने 17 नवंबर को पुलिस को पूनावाला का ‘नार्को टेस्ट’ करने की अनुमति दी थी.

नार्को टेस्ट करने कि मिली अनुमती
‘नार्को टेस्ट’ संभवत: सोमवार को यहां रोहिणी के डॉ बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में किया जाएगा. अधिकारियों का मानना है कि भले ही यह अदालत में स्वीकार्य नहीं होगा, लेकिन परीक्षण से अदालत में मामले को मजबूत करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सबूत मिल सकते हैं. दिल्ली पुलिस के एक अन्य पूर्व प्रमुख, ने कहा, ‘नार्को टेस्ट के आधार पर, यदि पुलिस ने कुछ बरामद किया है, तो यह प्रासंगिक है. इससे जांचकर्ता को मदद मिल सकती है.

यह मामला फोरेंसिक विभाग के लिए एक परीक्षा की तरहः अधिकारी
दिल्ली पुलिस के एक सेवारत अधिकारी ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य अपराध को साबित करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं. अधिकारी ने कहा, भले ही इनमें से किसी एक हिस्से का डीएनए उसके परिजनों के डीएनए से मेल खाता हो, लेकिन यह उसके अपराध को साबित करने के लिए काफी होगा. श्रीवास्तव ने कहा कि यह मामला फोरेंसिक विभाग के लिए एक परीक्षा की तरह होगा क्योंकि इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है.

फोरेंसिक की हर संभव मदद की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘इस मामले में फोरेंसिक विज्ञान की हर संभव मदद लेने की आवश्यकता है, और यदि आरोपी छूट जाता है तो यह आपराधिक न्याय प्रणाली की विफलता होगी जिसमें पुलिस, अदालतें और फोरेंसिक सभी शामिल हैं.’ दिल्ली के कुख्यात तंदूर हत्याकांड की जांच में शामिल रहे एक अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि पुलिस के लिए अपराध साबित करना मुश्किल होगा

हत्या का मामला सुनियोजित लग रहा हैः सेवानिवृत अधिकारी
तंदूर मामले को याद करते हुए सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने गुस्से में आकर नैना साहनी की हत्या कर दी और फिर हड़बड़ा गया। हत्यारे ने घटनास्थल की सफाई की, शव को चादर में लपेट कर यमुना में फेंकने का प्रयास किया लेकिन ऐसा नहीं कर सका, जिसके बाद शव को तंदूर में जलाने का प्रयास किया.’ उन्होंने कहा कि लेकिन यह मामला सुनियोजित हत्या का लग रहा है.

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