भावुक ;कैलाश सत्यार्थी की टीम पर जब खदान माफियाओं ने किया था हमला।
बच्चों का जिक्र करते हुए सत्यार्थी ने कहा कि, मैं दुनिया को बच्चों की नजर से देखता हूं. बहुत खूबसूरत है हमारी दुनिया.
कानपुर न्यूज जंगल डेस्कः नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी पिछले कई सालों से बच्चों के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने चाइल्ड ट्रैफिकिंग से लेकर चाइल्ड लेबर जैसे मुद्दों को उठाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दी. अब एबीपी न्यूज के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में हिस्सा लेते हुए कैलाश सत्यार्थी ने बताया है कि कौन सी वो घटना थी जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया था. कैलाश सत्यार्थी इस घटना को याद करते हुए भावुक भी हो गए.
टीम पर माफियाओं ने किया था हमला
कैलाश सत्यार्थी ने उस घटना को याद करते हुए बताया कि, मेरे लिए सबसे ज्यादा पीड़ादायक वो छण था, जब सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को लागू करने के लिए हम जद्दोजहद कर रहे थे, फरीदाबाद के पास के पत्थर खदानों में… हम इसे लेकर प्रदर्शन करने वाले थे. तब अचानक हमारे साथियों पर हमला हुआ. इसमें हमारे एक साथी धूमदास की हत्या कर दी गई. मैं जब वहां पहुंचा तो वो खून से लथपथ वहां पड़ा था, उसकी खदान माफियाओं ने हत्या कर दी थी. ये बात 1985 की है. मैं उसे उठाकर अस्पताल ले गया, लेकिन जब डॉक्टरों ने कहा कि ये नहीं बचा है, तो उसके शव को उठाकर अपनी गाड़ी में रखना मेरे जीवन का सबसे भयानक छण था. क्योंकि मैं जानता था कि उसकी नवविवाहिता पत्नी को जवाब नहीं दे सकूंगा. मैं ये भी कोस रहा था कि धूमदास की जगह मैं क्यों नहीं था, मेरे चार भाई हैं. तो काम चल जाता, लेकिन धूमदास का क्या होता. तब मैं सबसे ज्यादा दुखी था.
बच्चों का जिक्र करते हुए सत्यार्थी ने कहा कि, मैं दुनिया को बच्चों की नजर से देखता हूं. बहुत खूबसूरत है हमारी दुनिया. ये हमारी आंखों के ऊपर मजहब के, जात बिरादरी के, स्त्री-पुरुष के जो चश्मे चढ़ गए हैं, इसकी वजह से ही सारी समस्या है. बच्चे के अंदर ये कुछ नहीं है. इसलिए बच्चे की आंख से हम दुनिया देखें तो ये काफी खूबसूरत हैं. बच्चा हमेशा ही सच बोलता है. इसीलिए मैं बच्चों से सीखने की कोशिश करता हूं.
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