कभी जमीन पर रहती थीं गहरे समुद्र में रहने वाली व्हेल- शोध

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व्हेल (Whale) का इतिहास मे कैसे विकास (Evolution) हुआ, इस पहेली ने लंबे समय से वैज्ञानिकों परेशान कर रखा था. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने व्हेल की वर्तमान

न्यूज़जंगल नेटवर्क, कानपुर : जीवाश्मों (Fossils) का अध्ययन हमारे जीव वैज्ञानिकों के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि इससे वे जीवों के विकासक्रम (Evolutions) का पता लगा पाते हैं डार्विन के समय के बाद से दुनिया भर में जीवों के उद्भव के अध्ययन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. स्तनपायी जानवरों विकास के बारे में तो पहले ही काफी जानकारी जुटाई जा चुकी लेकिन वैज्ञानिक व्हेल (Whales) और उनके विभिन्न प्रजातियों के बारे मे ज्यादा पता नहीं लगा सके हैं. अब नए अध्ययन ने व्हेल के जीवन के इतिहास ने नई और अहम जानकारी जुटाने में सफलता पाई है. उनहोंने पाया है कि कभी व्हेल धरती पर रहा करती थीं.

तीन विकासकाल
अभी तक वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पा रहा था कि व्हेल कैसे अलग अलग प्रजातियों में विकसित हुईं. लेकिन इस बड़े और महत्वपूर्ण अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में व्हेल के तीन प्रमुख विकास काल के बारे में जानकारी जुटाई है. इतना ही नहीं इन दौरों में व्हेल का विकास बहुत तेजी से हुआ था.

5 करोड़ साल की जानकारी
‘द टेम्प कैटेशियन कार्नियल इवोल्यूशन’ शीर्षक वाले इस अध्ययन के नतीजे करेंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. इसमें शोधकर्ताओं ने व्हेल की करीब 113 विलुप्त और 88 जीवित प्रजातियों की खोपड़ियों के 3डी स्कैन से पड़ताल की और व्हेल के विकालकाल के पूरे 5 करोड़ साल के समय की जानकारी निकाली.

केवल तीन ऐसे मौके
स्मिथसनियन के नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पोर्ट डॉक्टोरल फैलो और इस अध्ययन की लेखक डॉ एलेन कूम्बस ने बताया कि उनकी टीम ने पृथ्वी पर पाए जाने वाले व्हेल के सबसे महंगे क्रानियल डेटासेट को हासिल किया है. इस अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि व्हेल की उद्भव काल में तीन प्रमुख समय आए हैं जब उनका विकास बहुत तेजी से हुआ था.

पहले धरती से पानी में
इसमें पहला काल 4.78 और 4.2 करोड़ साल पहले आया था जब आर्कियोसेटेस नाम की पुरातन व्हेल ने अपने पहले विकाल काल में सबसे पहले जमीन से पानी की ओर रुख किया था. इस विकासकाल में इस प्रजाति की खोपड़ी की आकृति में बदालव आए थे जो शायद पानी में प्रतिस्पर्धा की कमी की वजह से आए थे.

केवल 80 लाख सालों में ही
डॉ कूमब्स के अनुसार पुरातन प्रजातियां एक संपूर्ण धरती के स्तानपायी जीव से पूरी तरह से जलीय जीव 80 लाख साल में बन गई थीं. उद्भव प्रक्रियाओं के संदर्भ में यह बहुत ही तेजी से होने वाला विकास है. पानी में जाने के बाद भी इन प्रजातियों में अपने धरती के पूर्वजों की बहुत सारी विशेषताएं समान ही थीं.

क्या हुआ था दूसरे कालखंड में
वहीं दूसरे विकास कालखंड में व्हेल के दो प्रमुख समूह एक दूसरे से अलग हो गए थे. यह विचलन दातों वाली व्हेल, बलीन व्हेल, ओडोन्टोसेटी और मिस्टीसेटी व्हेलों में देखा गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि ओडोन्टोसेटी प्रजाति की व्हेल की खोपड़ी में चेहरे और नाक के हिस्से में बहुत ज्यादा और बड़े बदालव देखे गए. वहीं मिस्टीसीट की खोपड़ी ने बहुत ज्यादा शिकार को खाने की स्तनपायी जीवों की आदत को अपना लिया था.

तीसरे विकास काल में
तीसरे और अंतिम काल में नीली व्हेल जैसे प्रजातियों में विशेष कपालीय विकास देखा गया. इस दौरान ही दातों वाली व्हेलों में विविधता आई और उनकी प्रतिध्वनि निर्धारण क्षमता में सुधार आया जिसे उन्होंने शिकार देखने की जरूरत को खत्म कर दिया और वे समुद्र में गहराई तक जाने में सक्षम हो गईं.

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