बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द की तीनों आरोपियों को दी गई फांसी की सजा, पलटा सेशन कोर्ट का फैसला

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शक्ति मिल गैंगरेप केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को दी गई फांसी की सजा रद्द कर दी है.

 न्यूज जगंल डेस्क, कानपुर : साल 2013 में मुंबई में हुए शक्ति मिल गैंगरेप केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सजा पर अंतिम फैसला सुना दिया है. हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को दी गई फांसी की सजा रद्द कर दी है. जस्टिस एस एस जाधव और जस्टिस पृथ्वीराज चौहान ने फैसला सुनाया है. इससे पहले सेशन कोर्ट ने तीनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और एक को उम्र कैद दी गई थी. 

तीन आरोपी मोहम्मद कासिम हाफ़िज़ शेख उर्फ़ कासिम बंगाली (फांसी), मोहम्मद सलीम अंसारी (फांसी), विजय मोहन जाधव (फांसी) दोनों गैंगरेप केस में दोषी करार दिया गया है. तीनों को फांसी की सजा दी गई थी.

शक्ति मिल गैंगरेप केस की टाइमलाइन

22 अगस्त 2013 को एक मैगजीन के लिए काम करने वाली महिला फोटो जर्नलिस्ट के साथ महालक्ष्मी स्थित शक्ति मिल कंपाउंड में शाम तकरीबन 6 बजकर 45 मिनट पर गैंगरेप हुआ था. फिर 23 अगस्त 2013 को मामले में पहली गिरफ्तारी हुई थी. नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. 24 अगस्त 2013 को दूसरा आरोपी विजय जाधव गिरफ्तार हुआ था. इसी दिन कुछ घंटों बाद तीसरे आरोपी सिराज रहमान उर्फ सिरजू की भी गिरफ्तारी की गई थी. फिर 25 अगस्त 2013 को चौथे आरोपी कासिम बंगाली की गिरफ्तारी हुई थी. 25 अगस्त 2013 को पांचवां और मुख्य साजिशकर्ता मोहम्मद सलीम अंसारी गिरफ्तार किया गया था.

इसके बाद 26 अगस्त 2013 को पीड़ित फोटो जर्नलिस्ट का बयान दर्ज किया गया था. 27 अगस्त 2013 को पीड़िता को अस्पताल से छुट्टी मिली थी. 3 सितंबर 2013 को एक और पीड़िता सामने आई थी. 19 साल की टेलीफोन ऑपरेटर ने पुलिस को बताया कि 31 जुलाई को उसके साथ भी पांच लोगों ने गैंगरेप किया जिसमें पहले से गिरफ्तार तीन आरोपी शामिल थे.

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फिर 4 सितंबर 2013 को पीड़ित लड़की ने आइडेंटिफिकेशन परेड में आरोपियों की पहचान की थी. इसके बाद 19 सितंबर 2013 को मुंबई क्राइम ब्रांच ने तकरीबन 600 पन्ने की चार्जशीट दायर की थी. 14 अक्टूबर 2013 को ट्रायल की शुरुआत हुई. 17 अक्टूबर 2013 को पीड़िता ने अदालत में आरोपियों की पहचान की. 13 जनवरी 2014 को पीड़िता के सहयोगी और चश्मदीद गवाह ने भी आरोपियों को पहचान की. 20 मार्च 2014 को मुंबई सेशंस कोर्ट ने सभी चारों आरोपियों को दोषी पाया. 4 अप्रैल 2014 को तीन रिपीट ऑफेंडर्स को फांसी जबकि बाकी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

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