अपना दल : पिता सोनेलाल पटेल की विरासत को लेकर दोनों बहने आमने सामने

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उत्तर प्रदेश की राजनीती में सोनेलाल पटेल का अलग ही मुकाम है । साइंस का एक होनहार छात्र इमरजेंसी के दौर में हुए छात्र आंदोलन का हिस्सा बनता है । पहले चौधरी चरण सिंह और फिर कांशीराम के साथ भी जुड़ता है, लेकिन वो अपना लक्ष्य बनाता है, ‘यूपी की राजनीति में कुर्मी जाति को एक व्यापक प्रतिनिधित्व दिलाने का ’। 10 साल तक वह दूसरी पार्टियों का साथ देता है , तो वही 14 साल तक वह स्वयं की पार्टी बनाकर संघर्ष करता है। लेकिन दुर्भाग्यवस एक भी चुनाव नहीं जीत पाता है. इसी बीच एक रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो जाती है।

इनकी मौत के बाद पार्टी की जिम्मेदारी उनकी पत्नी और तीसरे नंबर की बेटी उठा लेती है। बेटी चुनाव लड़ती है फिर पहले विधायक, फिर सांसद, बाद में केंद्र में मंत्री बन जाती है। लेकिन, यहां से परिवार में एक टूट पड़ती है. बेटी और मां आमने-सामने हो जाती हैं। अभी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों ही गुट अलग तरह का मोर्चा खोले हुए थे

उत्तर प्रदेश में सोनेलाल पटेल की विरासत फ़िलहाल बंट गई है। आज उनकी जंयती के दिन उनकी दोनों बेटिया अनुप्रिया और पल्लवी एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी नज़र आ रही है । दरअसल अपना दल के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की जयंती को दोनो बहनें इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मनाना चाहती थी।

जिसको लेकर अनुप्रिया पटेल की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया गया है। लेकिन अब पल्लवी पटेल का कहना है कि उन्होंने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पहले बुकिंग की थी लेकिन उनकी बुकिंग रद्द कर दी गई। और उनको जंयती मनाने की भी अनुमति नहीं दी गई।

वहीं पल्लवी पटेल के द्वारा लगाये गये इन अरोपों के बाद अनुप्रिया पटेल की तरफ से बुकिंग  के कागज जारी किये गये है। और अनुप्रिया पटेल की पार्टी के प्रदेश अध्यक ने भी इन अरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पल्लवी पटेल विपक्ष की साजिश के चलते सोनेलाल पटेल की जयंती के कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न करना चाह रही हैं।

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