Adani-Hindenburg case: ‘हम पारदर्शिता चाहते हैं’… कहकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के ‘बंद लिफाफे’ को फेंका

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Adani-Hindenburg case: सीजेआई ने कहा कि हम किसी का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन कमेटी हम खुद बनाएंगे। इसकी निगरानी का जिम्मा हमने किसी मौजूदा जज को नहीं सौंपा है।

Adani-Hindenburg Row: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को अडानी समूह की कंपनियों की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने को लेकर अपना फैसला पूर्णतः सुरक्षित रखा है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी कमेटी स्वयं नियुक्त करेगा। हम चाहते हैं कि इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता हो। दरअसल, सरकार की तरफ से कमेटी के सदस्यों के लिए सरकार ने सील्ड कवर में कुछ नाम सुझाए गए थे।

सील्ड कवर लिया तो समझेंगे कि यह सरकार की कमेटी है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र सरकार की सील्ड कवर सुझाव को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। CJI ने कहा कि अगर हम सील कवर के सुझाव को स्वीकार करेंगे तो लोग यह समझेंगे कि यह सरकार द्वारा नियुक्त कमेटी है। हम आपके सुझावों को मानते है तो यह दूसरों को भी बताना पड़ेगा। कमेटी शेयर बाजार के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए उपायों को लेकर सुझाव देगी। इसके बाद कमेटी बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

हमने निगरानी का जिम्मा किसी जज को नहीं सौंपा

सीजेआई ने कहा कि हम किसी का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन कमेटी हम खुद बनाएंगे। इसकी निगरानी का जिम्मा किसी मौजूदा जज को नहीं सौंपा है। हम यह निर्देश देंगे कि सभी एजेंसियां कमेटी के साथ ही सहयोग करें।

दरअसल, अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट सार्वजनिक की थी जिसमें, दावा किया था कि अडानी ग्रुप की कंपनियां स्टॉक्स में हेराफेरी कर रही हैं। उसके बाद से ही ग्रुप की कंपनियों की मार्केट वैल्यू 100 अरब डालर से ज्यादा कम हो चुकी है।

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