भावनात्मक संतुलन के लिए ध्यान जरूरी, सीएचएस (चौ. हरमोहन सिंह) एजुकेशन सेंटर में योग और ध्यान पर हुई कार्यशाला में हार्टफुलनेस संस्थान के प्रशिक्षकों ने दिया प्रशिक्षण…

News jungal desk: कानपुर. शारीरिक, मानसिक के अलावा भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से भी जब हम सम्पन्न रहेंगे, तभी हमारा सर्वांगीण विकास हो सकता है । योग और ध्यान सर्वांगीण विकास के लिए बहुत जरूरी है । ऋषि पतंजलि के योग सूत्र में ध्यान को सातवें स्थान पर रखा गया है । योग हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है, ध्यान बाहर से अपने अंतरतम की यात्रा है । यह हृदय का योग है । नियमित ध्यान से धीरे-धीरे मन की चंचलता खत्म हो जाती है । हम अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित होते जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ रहे बच्चों मन के भटकाव से सबसे ज्यादा परेशान हैं । अपने भविष्य को लेकर चिंतित और तनाव में हैं. ध्यान उनकी मदद करेगा । ये विचार गैरलाभकारी संस्था हार्टफुलनेस के प्रशिक्षकों ने तात्याटोपे नगर स्थित सीएचएस (चौ. हरमोहन सिंह) एजुकेशन सेंटर में ध्यान और योग पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन व्यक्त किए ।


बच्चों को बाईं नासिका से श्वास, प्राणायाम, ओम का तीन भाग में उच्चारण, रिलैक्सेशन, ध्यान, कैसे हम भावनात्मक बोझ-अनुपयोगी विचारों उबरना और खुद से जुड़ने (आत्मा) का अभ्यास कराया गया । क्रोध को कम करने के लिए 10-12 बार बाईं नासिका से श्वास लाभप्रद है । मन और शरीर को शांत करने के लिए रिलैक्सेशन एक अच्छी तकनीक यह आपको बेहतर तरीके से किसी कार्य को करने के लिए तैयार करता है । जहां पर नियमित ध्यान होता है, वहां पर प्रेम और करुणामय वातावरण विकसित होता है ।


प्रेम ही सरलता और सहजता से सीखने और सिखाने का अवसर प्रदान करता है । इस पवित्रता की अनुभूति तभी कर सकते हैं और किसी को करा भी तब सकते हैं, जब हमारा मन और शरीर शांत होता है । हार्टफुलनेस शिथिलीकरण और ध्यान एक ऐसा वैज्ञानिक तरीका है । हार्टफुलनेस के ग्लोबल गाइड एवं पदम् भूषण श्रद्धेय डॉ. कमलेश डी पटेल ‘दाजी’ का संदेश है कि बच्चों को रिलैक्सेशन कराकर आप उन्हें सबसे बड़ा उपहार देते हैं । आगे चलकर उन्हें ध्यान कराकर दूसरा बड़ा उपहार देते हैं
प्रिंसिपल ज्योति विज ने बताया कि फिजिकल हेल्थ, मेन्टल हेल्थ पर बहुत काम हो रहा है ।

भावनाओं में आकर अक्सर हम गलत निर्णय ले लेते हैं, जिसकी वजह से हमें जीवन भर अफसोस करना पड़ता है। इसलिए हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा । रिलैक्सेशन और ध्यान आपकी मदद करेगा । मेरे लिए अध्यात्म के मायने खुद से जुड़ना है । रिसर्च बताती है कि एक साधरण मनुष्य में एक दिन में 60,000 से 80,000 विचार आते हैं ।

इनमें से सबसे ज्यादा नकारात्मक विचार हैं ।हार्टफुलनेस की शुद्धिकरण तकनीक वैचारिक और भावनात्मक संतुलन के लिए बहुत उपयोगी है । योगा और ध्यान ट्रेनर एयरफोर्स से रिटायर्ड ऋषि प्रकाश और सर्जन डॉ. प्रिया सचान ने प्रशिक्षण दिया । करीब 170 छात्र छात्राएं, टीचर्स और स्टाफ उपस्थित रहा।

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