Mahatma Jyotiba Phule Jayanti : विधवा विवाह ,छुआछूत को खत्म करने में बड़ा योगदान रहा है

 News Jungal Desk :- भारत से छुआछूत को खत्म करने का प्रयास करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba Phule) की आज जयंती है। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 में हुआ को पुणे में हुआ था। भारतीय समाज को सशक्त बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। भारत में महात्मा फुले को बेहद सम्मान के साथ एक समाज सुधारक, विचारक, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता के तौर पर जाना जाता है।

24 सितंबर 1873 में महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba Phule) ने ‘सत्य शोधक समाज’ नामक एक संस्था की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य नीची समझी जाने वाली और अस्पृश्य जातियों के उत्थान के लिए काम करना था।

महात्मा की उपाधि

दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज’ स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी। ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। वे लोकमान्य के प्रशंसकों में थे।

जाति से बहिष्कृत

अछूतोद्धार के लिए ज्योतिबा ने उनके अछूत बच्चों को अपने घर पर पाला और अपने घर की पानी की टंकी उनके लिए खोल दी। परिणामस्वरूप उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया गया।

कुछ समय तक एक मिशन स्कूल में अध्यापक का काम मिलने से ज्योतिबा का परिचय पश्चिम के विचारों से भी हुआ, पर ईसाई धर्म ने उन्हें कभी आकृष्ट नहीं किया। 1853 में पति-पत्नी ने अपने मकान में प्रौढ़ों के लिए रात्रि पाठशाला खोली। इन सब कामों से उनकी बढ़ती ख्याति देखकर प्रतिक्रियावादियों ने एक बार दो हत्यारों को उन्हें मारने के लिए तैयार किया था, पर वे ज्योतिबा की समाजसेवा देखकर उनके शिष्य बन गए।

ज्योतिबा फुले क्यों प्रसिद्ध है?

व्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता के लिए उनके चलाए आंदोलन के कारण उन्हें आधुनिक भारत की परिकल्पना का पहला रचनाकार भी माना जाता है. ये बात महत्वपूर्ण है कि बाबा साहेब डॉ बीआर आंबेडकर ने बुद्ध और कबीर के साथ महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba Phule) को अपना गुरु माना था

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