सेंट्रल बजट में देश की आधी आबादी का पूरा ख्याल रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते समय महिलाओं की उपेक्षा नहीं की। महिला होने का उन्होंने धर्म निभाया। अमृतकाल का पहला बजट है जिसमे हर वर्ग का ध्यान रखा गया। महिलाओं का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने असाधारण कामयाबी हासिल की है।
ग्रामीण महिलाओं को 81 लाख स्व सहायता समूह से जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि हम इन समूहों को अगले स्तर पर ले जाएंगे। आने वाले समय में इस समूह में भारी स्तर पर महिलाओं को जोड़ा जाएगा। उन्हें कच्चे माल की आपूर्ति की जाएगी और बेहतर डिजाइन के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
महिलाओं को इस बात के लिए सक्षम बनाया जाएगा कि वे बड़े उपभोक्ता बाजार में सेवा देने के लिए अपने प्रचालनों का दायरा बढ़ाएं।
वित्त मंत्री ने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान शुरू की गई है। सदियों से पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों ने भारत का नाम रौशन किया है। उनके द्वारा बनाई गई कलाकृति और हस्तशिल्प, आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा दे रहे हैं। पहली बार उनके लिए सहायता पैकेज दी जाएगी। इस नई स्कीम के माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता, पैमाने और पहुंच में सुधार लाने, उन्हें एमएसएमई वैल्यू चेन के साथ एकीकृत होने में सक्षम बनाएगी।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना में न सिर्फ वित्तीय सहायता दी जाएगी बल्कि प्रशिक्षण, आधुनिक डिजिटल तकनीकों की जानकारी, ब्रांड प्रमोशन, स्थानीय एवं वित्तीय बाजारों के साथ संयोजन भी शामिल होगा। इसमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्गों, महिलाओं और कमजोर वर्गों के लोगों को सहायता दी जाएगी। आजादी का अमृत महोत्सव के स्मरण स्वरूप मार्च 2025 तक 2 साल के लिए महिला सम्मान बचत पत्र योजना की शुरुआत की जाएगी। इस योजना के तहत महिलाएं 2 साल के लिए निवेश कर सकेंगी। इस योजना के तहत महिला या बालिका आंशिक आर्यन विकल्प के नाम पर 2 साल के लिए 2 लाख रुपए जमा कर सकेंगे। 7.5 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। इसका लाभ लेने के लिए कोई भी महिला, या लड़की खाता खुलवा सकेगी। पैसे निकालने के लिए शर्तें होंगी।
पिछले बजट वित्त वर्ष 2022-23 में महिलाओं के लिए 1,71,006 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था। यह उससे पहले के वित्त वर्ष (2021-22) में दिए गए बजट से लगभग 11 फीसदी ज्यादा था। हालांकि 2022-23 के बजट में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी की दृष्टि से देखें, तो वित्त वर्ष 2021-22 में बजट में महिलाओं की हिस्सेदारी आंशिक तौर पर कम हो गई थी। साल 2021-22 में कुल बजट का 4.4 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं के हिस्से में आया था, जबकि 2022-23 में यह हिस्सेदारी घटकर 4.32 फीसदी रह गई थी। वित्त वर्ष 2022-23 क बजट में महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को 25,172.28 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जो कि 2021-22 के फाइनेंशियल इयर के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा थी। पिछले बजट में महिलाओं और बच्चों के लिए एकीकृत विकास प्रदान करने के लिए 3 योजनाएं मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 शुरू की गई थी।
मिशन शक्ति, महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए चलाई गई योजना के लिए 3,184 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी। इसके अलावा मिशन वात्सल्य के लिए आवंटित राशि 1,472 करोड़ थी। वहीं ऑटोनोमस (स्वायत्त) बॉडीज जैसे कि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्सेज एजेंसी, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स और नेशनल कमीशन फॉर वुमन के लिए 152 करोड़ रुपए राशि का आवंटन किया गया।
साल 2020 के बजट में वित्त मंत्री ने देश की महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए 10 करोड़ परिवारों के न्यूट्रिशन की भी घोषणा की। उस साल महिला संबंधी कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपए की घोषणा की ।
इस साल वित्त मंत्री ने महिलाओं के लिए ‘नारी तू नारायणी’ योजना लॉन्च करने का ऐलान किया था जिसका मकसद था देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना। इसके अलावा जनधन बैंक खाता रखने वाली महिलाओं को 5000 रुपए के ओवर ड्राफ्ट की सुविधा का ऐलान किया गया था। वहीं सेल्फ हेल्प समूह में काम कर रही किसी भी महिला को मुद्रा स्कीम के तहत एक लाख रुपए का कर्ज और स्टैंड अप इंडिया योजना से महिलाओं को लाभ दिए जाने का ऐलान किया था। भारत के महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए 18 साल पहले ‘जेंडर बजट’ का प्रावधान किया गया था। वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 के जेंडर बजट में 11 प्रतिशत की बढ़त हुई है। फिर भी भारत में जीडीपी के कुल खर्च में इसकी हिस्सेदारी भी 4 से 6 प्रतिशत ही रही।
किसी भी मंत्रालय की महिलाओं की योजना के लिए अलग से पैसे का आवंटन करना ही जेंडर बजट या जेंडर बजट स्टेटमेंट कहलाता है।
जेंडर बजट में हर मंत्रालय और विभाग जेंडर आधारित कार्यक्रम या स्कीम के बारे में बताता है और उनके लिए कितने पैसे दिए गए हैं इसकी भी जामकारी देता है।
हमारे देश में 48.4 प्रतिशत महिलाओं की आबादी है। लेकिन हेल्थ, एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट, आर्थिक रूप से मिलने वाले अवसरों जैसे तमाम सेक्टर्स है जहां वह पुरुषों से पीछे रह जाती हैं। इन सभी सेक्टरों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए जेंडर बजट की जरूरत पड़ती है।
(इनपुट साभार)
2023-02-01