भारत को मिला बड़ा खजाना, खत्म होगी चीन पर निर्भरता, ईवी बैटरी होंगी सस्ती

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Lithium deposits found in Jammu & Kashmir: चीन और ऑस्ट्रेलिया दुनियाभर में लिथियम के बड़े सप्लायर हैं, भविष्य में लिथियम की मांग बहुत तेजी से बढ़ने वाली है क्योंकि यह EV बैटरियों के बनाने में उपयोग होता है। अब भारत के पास खुद इसका भंडार हैं, यानी चीन की दादागिरी अब खत्म होने वाली है। मंत्रालय ने बताया, ‘लिथियम और गोल्ड सहित 51 खनिज ब्लॉक संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दिए गए हैं।’ इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक 11 राज्यों में हैं, जिसमें जम्मू और कश्मीर (यूटी), आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्य शामिल हैं। ये ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं

News Jungal National desk: देश में जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का बड़ा भंडार पाया गया है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है। यह भविष्य में सबसे अधिक काम आने वाला खजाना साबित होने वाला है। इसकी खासियत है कि यह नॉन फेरस मेटल है, जो इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल की बैटरी में इस्तेमाल करने के लिए जरूरी है। खान मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, ‘भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन (59 लाख टन) के लिथियम अनुमानित संसाधन मिला है। ’बता दें कि चीन और ऑस्ट्रेलिया दुनियाभर में लिथियम के बड़े सप्लायर हैं, भविष्य में लिथियम की मांग तेजी से बढ़ने वाली है क्योंकि लिथियम EV बैटरियों के बनाने में उपयोग होता है। अब भारत के पास खुद इसका भंडार हैं, यानी चीन की दादागिरी जल्द ही खत्म होने वाली है।

मंत्रालय ने बताया, ‘लिथियम और गोल्ड सहित कुल 51 खनिज ब्लॉक संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दिए गए हैं।’ इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक 11 राज्यों में हैं, जिसमें जम्मू और कश्मीर (यूटी), आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्य शामिल हैं। ये ब्लॉक्स पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं। 

GSI द्वारा फील्ड सीजन 2018-19 से अब तक किए गए कार्यों के आधार पर ब्लॉक तैयार किए गए थे। इनके अलावा कुल 7897 मिलियन टन संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें भी कोयला मंत्रालय को सौंप दी गईं हैं। बैठक के दौरान विभिन्न विषयों और इंटरवेंशन क्षेत्रों जिसमें जीएसआई संचालित होता है, पर सात प्रकाशन भी जारी किए गए।  मंत्रालय ने कहा, “आगामी फील्ड सीज़न 2023-24 के लिए प्रस्तावित वार्षिक कार्यक्रम बैठक के दौरान प्रस्तुत किया गया था और इस बैठक के दौरान विस्तार से चर्चा की गई। आगामी वर्ष 2023-24 के दौरान, GSI 12 समुद्री खनिज जांच परियोजनाओं सहित 318 खनिज अन्वेषण परियोजनाओं सहित 966 कार्यक्रम चला रहा है।” भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर 115 परियोजनाएं और उर्वरक खनिजों पर 16 परियोजनाएं तैयार की गई हैं।

खान मंत्रालय ने कहा, “जियोइन्फॉर्मेटिक्स पर 55 कार्यक्रम, मौलिक और बहु-विषयक भूविज्ञान पर 140 कार्यक्रम और प्रशिक्षण और संस्थागत क्षमता निर्माण के लिए 155 कार्यक्रम भी शुरू कर दिए गए हैं।” भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की स्थापना 1851 में रेलवे के लिए कोयले के भंडारों का पता लगाने के लिए की गई थी। इन वर्षों में, GSI न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान सूचनाओं के भंडार के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त कर लिया है। इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक सूचना और खनिज संसाधन मूल्यांकन को बनाने और अद्यतन करने से संबंधित है।

इन उद्देश्यों को जमीनी सर्वेक्षण, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण, खनिज पूर्वेक्षण और जांच, बहु-विषयक भू-वैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, सिस्मो-टेक्टोनिक अध्ययन और मौलिक अनुसंधान करने के माध्यम से प्राप्त कर लिया गया है। GSI की मुख्य भूमिका में उद्देश्यपरक, निष्पक्ष और अद्यतन भू-वैज्ञानिक विशेषज्ञता और सभी प्रकार की भू-वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना शामिल है, जिसमें नीति-निर्माण संबंधी निर्णय लेने और वाणिज्यिक और सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

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