विनय शंकर पर ED का शिकंजा, फ्रॉड केस में 72 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त

पूर्वांचल में कभी पंडित हरिशंकर तिवारी के नाम का सिक्का चलता था. जो जुबान से निकल जाता था वही उनके समर्थकों के लिए कानून हो जाता था. अब उनके पुत्र पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी कानून के शिकंजे में आ गए हैं. पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की 72.08 करोड़ रुपये की 27 संपत्ति को प्रवर्तन निदेशलाय ने शुक्रवार को जब्त कर लिया है. ईडी ने ये कार्रवाई विनय शंकर तिवारी की कंपनी गंगोत्री एंटरप्राइजेस लिमिटेड द्वारा बैंको के कंसोर्टियम का करीब 754.24 करोड़ रुपये फ्रॉड के मामले में हुई है.

News jungal desk:लखनऊ, गोरखपुर और महराजगंज में इन संप्त्तियों को जब्त किया गया है. बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर 2020 में सीबीआई मुख्यालय ने केस दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने भी 2021 में विनय शंकर तिवारी समेत कंपनी के सभी निदेशक, प्रमोटर और गारंटर के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर चांच शुरू किया था. इस मामले में पंडित हरिशंकर तिवारी भी आरोपी थे.

2021 में ईडी ने शुरू की थी जांच

डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल के मुताबिक फर्म मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अन्य ने अलग- अलग सात बैंकों से 1129 करोड़ रुपये का ऋण लिया है. 2012 से लेकर 2016 के बीच सात बैंकों के कंसोर्टियम से कंस्ट्रक्शन कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के नाम पर 1129.44 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट ली गयी थी और बड़ी रकम को दूसरी कंपनियों में डायवर्ट किया गया था, जिससे बैंकों का 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

 इन फर्मों के कर्ताधर्ता पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और उनके सगे संबंधी हैं, जिसमें पत्नी भी शामिल हैं. ज्यातर बैंक  अकाउंट एनपीए में चले गये हैं. इस मामले में डीआरटी ने 1 जुलाई 2019 को पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी सहित उनके 33 सगे संबंधियों को समन जारी किया था और सभी से जवाब मांगा था. पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी ने सबसे ज्यादा ऋण बैंक ऑफ इंडिया से लिया था. और इसी मामले में कार्रवाई चल रही है. 2020 में इस मामले में सीबीआई की इंट्री हुई और 2021 में ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की.

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